बड़कागांव (संजय सागर) : हजारीबाग जिला के बड़कागांव प्रखंड में यूरिया खाद की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है. 266 रुपये प्रति बोरा की कीमत वाली एक बोरी खाद के लिए इन दिनों प्रखंड के किसानों को 340 रुपये से लेकर 360 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं. खाद के अभाव में धान पीले पड़ रहे हैं और किसान परेशान हैं.
किसानों का कहना है कि यूरिया सल्फेट के अभाव में धान की फसल पीली पड़ने लगी है. अगर समय पर किसानों को यूरिया सल्फेट नहीं मिले और खेत में इसका छिड़काव न किया जाये, तो धान की पैदावार में कमी आयेगी. यूरिया सल्फेट की कालाबाजारी हो रही है और संबंधित अधिकारी चुपचाप बैठे हैं.
झारखंड में लॉकडाउन के कारण किसान पहले ही महंगाई की मार से त्रस्त हैं. खेती करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऊपर से खाद की कालाबाजारी ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है. बताया जा रहा है कि चोरी-छिपे किसानों को 9 रुपये प्रति किलो की दर से यूरिया सल्फेट क्षेत्र में बेची जा रही है.
कृषक महेश्वरी राम का कहते हैं कि चोरी-छिपे यूरिया सल्फेट की बिक्री हो रही है. उसकी ऊंची कीमत वसूली जा रही है. कृषक उमेश दांगी का कहना है कि यूरिया खाद नहीं मिलने से काफी परेशानी हो रही है. कई दुकानों में भटकने के बाद भी जरूरत से आधा यूरिया खाद ज्यादा कीमत चुकाने के बाद मिल पा रहा है. पर्याप्त मात्रा में खेत में खाद का छिड़काव नहीं करेंगे, तो पैदावार कम होगी.
इसके दो दुष्प्रभाव होंगे. एक तो किसानों को उनकी लागत का पूरा मूल्य नहीं मिल पायेगा. दूसरे बाजार में उपभोक्ताओं को ऊंची कीमत पर चावल खरीदनी पड़ेगी. कुछ किसानों ने कहा कि सरकारी अधिकारी खाद की कालाबाजारी नहीं रोकेंगे, तो किसानों को भारी परेशानी होगी. अंबाजीत के सदानंद शर्मा कहते हैं कि यूरिया सल्फेट की कीमत 266 रुपये प्रति बोरा है, लेकिन बाजार में इसे 340-360 रुपये प्रति बोरा की दर से बेचा जा रहा है.
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प्रखंड कृषि पदाधिकारी रवि रंजन से इस बाबत पूछने पर उन्होंने कहा कि जिला कृषि पदाधिकारी के निर्देश पर प्रखंड के यूरिया खाद विक्रेताओं की दुकानों का औचक निरीक्षण किया गया. दुकानों में यूरिया खाद की कमी पायी गयी. इसके बाद दुकानदारों को यूरिया खाद उपलब्ध कराया गया. दुकानदारों को हिदायत दी गयी है कि वे उचित दाम पर ही यूरिया खाद की बिक्री करें.
Posted By : Mithilesh Jha