नयी दिल्ली : कोरोनावायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है. कई बड़े देश इस वायरस की वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) बनाने में जुटे हैं. रूस ने तो वैक्सीन बना लेने का दावा भी किया है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रूस के वैक्सीन पर अभी और परीक्षण की गुंजाइश बतायी है. दुनिया भर में 2 करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. वैक्सीन या दवा को लेकर अभी भी कहीं से स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही है.
विशेषज्ञों ने माना था कि गर्मी के दिनों में कोरोनावायरस के संक्रमण की रफ्तार थोड़ी कम हो जायेगी. लेकिन वायरस की रफ्तार बढ़ गयी है. जितनी तेजी से इस वायरस का संक्रमण फैल रहा है, सर्दी के दिनों में इसके और अधिक बढ़ने के आसार हैं. इस वायरस से अबतक 8 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वैक्सीन डेवेलपर के लिए अच्छी बात ये है कि वायरस अब तेजी से रूप नहीं बदल रहा है.
कई एक्सपर्ट ने दावा किया है कि सर्दियों तक कोविड-19 वैक्सीन आ जायेगा. वहीं कुछ ने 2021 की शुरुआत में वैक्सीन आने की बात कही है. इस वायरस पर रिसर्च कर रहे कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस ठंड के दिनों को और तबाही मचा सकता है. इससे कई बड़े देश परेशान हैं. अब सबकी उम्मीदें वैक्सीन से ही है.
डब्ल्यूएचओ के साथ काम कर चुके इंफेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट क्लाउज स्टोहर के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट की बात करें तो कोरोनावायरस का एपिडेमायोलॉजिकल बिहेवियर किसी अन्य रेस्पिरेटरी डिसीज से बहुत अलग नहीं होता है. उनका दावा है कि सुस्त पड़ चुका वायरस सर्दियों में वापसी कर सकता है. उसके बाद एक बार फिर से यह तबाही मचा सकता है.
स्टोहर ने कहा कि दुनिया को महामारी की एक और लहर से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार होने की आवश्यकता है. कोरोना की संभावित लहर महामारी के मौजूदा खतरे से भी ज्यादा भयंकर हो सकती है. ब्रिटेन की ‘अकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस’ की भी कुछ ऐसी ही राय है. अकेडमी ऑफ मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट का कहना है कि साल 2021 के जनवरी-फरवरी महीने में हालात ठीक वैसे ही होंगे, जैसा कोरोनावायरस के शुरुआती दिनों में देखने को मिला था.
दुनियाभर के विशेषज्ञों के विचारों में एक बात जो सामने आ रही है वह यह है कि सर्दियों में कोरोना की दूसरी लहर से हालात और बदतर हो सकते हैं, सभी देशों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. वैक्सीन की बात करें तो अभी की कम से कम 6 महीने का समय लग सकता है. वैक्सीन आने के बाद एक चुनौती इतनी बड़ी आबादी को टीका लगाने की है.
ब्रिटेन के चीफ मेडिकल ऑफिसर, क्रिस व्हिट्टी का नाम उन टॉप वैज्ञानिकों में शुमार है, जो इस वक्त कोरोना को मिटाने वाली वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. ‘न्यू स्काई’ को दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि हम किसी वैक्सीन के भरोसे नहीं बैठ सकते. खासतौर पर जिसके आगामी सर्दियों तक विकसित होने का दावा किया जा रहा है. हमें अगली सर्दियों तक तैयार रहना चाहिए. यह सोचना मूर्खता है कि इस साल सर्दियों तक हमें वैक्सीन मिल जायेगी.
हालांकि उन्होंने कहा कि मेरा अनुमान गलत भी हो सकता है. दुनियाभर में बहुत से वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के कार्य में जुटे हुए हैं, ताकि जल्द से जल्द जानलेवा वायरस का इलाज खोजा जा सके. हमें इसकी जांच करनी चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं. इस प्रोसेस को पूरा होने में समय लगता है. ऐसे बता दें कि रूस की वैक्सीन पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं.
Posted By: Amlesh Nandan Sinha.