पटना: विभिन्न कांडों में सजा काट रहे लोगों के हथियार व लाइसेंस जब्त नहीं हो रहे हैं. राज्य में ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जिनमें लाइसेंसधारियों को कोर्ट से सजा मिल चुकी है, लेकिन पुलिस ने उनके हथियारों के लाइसेंस जब्त नहीं किये हैं और न ही प्रशासन ने लाइसेंस की वैधता को रद्द किया है.
ताजा मामला भोजपुर जिले का है, जहां आरा मुफसिल थाने के लाइसेंसधारी संजय प्रताप सिंह के लाइसेंस को रद्द करने की अनुशंसा एसपी ने जिला प्रशासन को की है. थाने की रिपोर्ट के आधार पर एसपी ने डीएम को लिखा है कि लाइसेंसधारी विभिन्न कांडों में दोषी पाये गये हैं. कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा दी है.
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संजय प्रताप सिंह ने लाइसेंस पर एक राइफल व एक पिस्टल ले रखी है. ऐसे में उसके हथियारों के लाइसेंस काे रद्द करने की अनुसंशा की जाती है. दरअसल, जिले में इस तरह के काफी मामले हैं, जिन पर पुलिस की ओर से अभियान चलाकर जांच की जा रही है और ऐसे लाइसेंसों को लगातार रद्द करने की अनुसंशा भी हो रही है.
भोजपुर जिले के एसपी रहे सुशील कुमार ने बताया कि जिले में इस तरह का अभियान मई से शुरू किया गया था. इसमें सजायाफ्ता लोगों के लाइसेंस रद्द करने की अनुशंसा के अलावा जिस आदर्श संहिता के आधार पर लाइसेंसधारियों को कारतूस दिये जाते हैं, उसकी भी जांच करायी जा रही है. कोई लाइसेंसधारी गोलियों को खर्च करता है तो उसे उसका हिसाब भी देना होगा़ किसी लाइसेंसधारी का हथियार कोई और लेकर चलता है तो उसे रिटेनशिप लाइसेंस भी रखना होगा.
एडीजी मुख्यालय जीतेंद्र कुमार बताया कि अपराध रोकने के लिए इस तरह का अभियान काफी अच्छा है. इसका अन्य जिलों को भी पालन करना चाहिए. आने वाले समय में सभी जिलों में इस तरह का अभियान चलाया जायेगा. गौरतलब है कि परिजनों व आसपास के लोगों से आपसी विवाद में गोली चलाने की घटना, किसी समारोह में हर्ष फायरिंग की अधिकतर घटनाएं लाइसेंसी हथियार से ही होती रही हैं.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya