नयी दिल्ली: रिलायंस कम्युनिकेशशंस, रिलायंस टेलीकॉम और रिलांस इंफ्राटेल की समाधान योजना से चीनी बैंकों को 30 प्रतिशत यानी 7,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. वहीं दूरसंचार विभाग को मौजूदा योजना में संभवत: कोई राशि नहीं मिलेगी. एक सूत्र ने यह जानकारी दी. उसने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई, आर कॉम, आरटीएल और आरआईटीएल की समाधान योजना पर आज सनवाई होगी.
बैंक सूत्रों के अनुसार चीनी बैंक…चाइना डेवलपमेंट बैंक, चाइना एक्जिम बैंक और इंडस्ट्रियल एंड कमिर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आईसीबीसी)…को आर कॉम, आरटीएल और आरआईटीएल की समाधान योजना के तहत 30 प्रतिशत यानी 7,000 करोड़ रुपये मिलेंगे. अगर यह योजना परवान चढ़ती है तो दूरसंचार विभाग को कुछ नहीं मिलेगा. कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने दूरसंचार विभाग को समाधान योजना से प्राप्त होने वाली कुल 23,000 करोड़ रुपये की राशि में से कुछ भी नहीं देने का निर्णय किया है. इसका कारण विभाग को कंपनी की परिचालन में मदद करने वाला ऋणदाता (ऑपरेशनल क्रेडिटर) माना जा रहा है.
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मौजूदा योजना के तहत दूसरी तरफ, चीनी बैंकों को बड़ी हिस्सेदारी यानी 7,000 करोड़ रुपये मिलेंगे जबकि अन्य विदेशी कर्जदाताओं को 2,300 करोड़ रुपये (10 प्रतिशत हिस्सेदारी) प्राप्त होंगे. भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन बैंक को 13,000 करोड़ रुपये मिलेंगे. उल्लेखनीय है कि दूरसंचार विभाग ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत रिलायंस कम्युनिकेशंस (आर कॉम) और उसकी अनुषंगी रिलायंस टेलीकॉम लि. (आरटीएल) के कर्ज समाधान योजना के प्रस्ताव का विरोध किया है.
विभाग ने इस सप्ताह की शुरूआत में एनसीएलटी की मुंबई पीठ के समक्ष कहा था कि कर्जदारों द्वारा मंजूर समाधान योजना में सरकार को दिये जाने वाले समयोजित सकल आय के बकाया पर विचार नहीं किया गया. न्यायाधिकरण ने दूरसंचार विभाग को इस संदर्भ में शुक्रवार को सुनवाई वाले दिन अपनी बातें रखने को कहा.
Posted By: Pawan Singh
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