नयी दिल्ली : भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी तनाव को लेकर 18वीं बार बैठक हुई. बैठक में दोनों देशों के बीच सीमा पर सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने पर सहमति बनी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया, भारत, चीन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति पर विचारों का गहन और स्पष्टता के साथ आदान-प्रदान किया.
उन्होंने बताया, भारत, चीन पश्चिमी सेक्टर में एलएएसी के पास सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने के लिए पूरी ईमानदारी के साथ काम करने पर सहमत हुए. इसके अलावा लंबित मुद्दों को शीघ्रता से हल करने के लिए भी सहमत हुए.
उन्होंने बताया, भारत, चीन इस बात से सहमत हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की बहाली संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है. दोनों देशों ने यह स्वीकार किया है कि सैनिकों का पूरी तरह से से पीछे हटना सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक, सैन्य माध्यमों से करीबी संचार को बनाये रखने की जरूरत है.
They reaffirmed that in accordance with agreements reached b/w foreign ministers, the sides will continue to work towards complete disengagement along LAC in western sector. They agreed to resolve outstanding issues expeditiously, according to existing agreements, protocols: MEA https://t.co/CRXtIXpB4B
— ANI (@ANI) August 20, 2020
इससे पहले डब्ल्यूएमसीसी की 24 जुलाई को हुई अंतिम दौर की बातचीत में चीनी पक्ष का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय के तहत आने वाले सीमा एवं समुद्री मामलों के विभाग के महानिदेशक होंग लियांग ने किया था. बातचीत के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों को शीघ्र एवं पूरी तरह से पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं.
यह द्विपक्षीय संबंधों को संपूर्ण रूप से आगे बढ़ाने के लिये आवश्यक है. राजनयिक बातचीत के बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने कोर कमांडर स्तर की पांचवें दौर की बातचीत दो अगस्त को थी, जिसका उद्देश्य सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को तेज करना था. सैन्य सूत्रों के मुताबिक हालांकि, पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रकिया आगे नहीं बढ़ी, जबकि भारत को इसकी उम्मीद थी.
उन्होंने बताया कि सैन्य स्तर की बातचीत में भारतीय पक्ष ने यथाशीघ्र चीनी सैनिकों को पूरी तरह से वापस बुलाने और पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों में पांच मई से पहले की स्थिति बहाल करने पर भी जोर दिया था. पांच मई को पैंगोंग सो में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद गतिरोध शुरू हुआ था.
सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिक गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट गये, लेकिन उनके (चीन के) सैनिकों को वापस बुलाये जाने की प्रक्रिया पैंगोंग सो, डेपसांग और कुछ अन्य इलाकों में मध्य जुलाई से आगे नहीं बढ़ी. सैनिकों को पीछे हटाने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी. इसके एक दिन पहले इलाके में तनाव घटाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत हुई थी.
दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर बातचीत कर रहे हैं, ऐसे में भारतीय थल सेना सर्दियों के मौसम में पूर्वी लद्दाख में सभी प्रमुख इलाकों में सैनिकों की मौजूदा संख्या कायम रखने की व्यापक तैयारी कर रही है. सूत्रों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एलएसी पर अग्रिम मोर्चे पर अभियान की निगरानी कर रहे सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों से पहले ही कहा है कि वे अत्यधिक सतर्कता बरतें और किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिये आक्रामक रुख कायम रखें.
थल सेना ढेर सारे हथियार, गोलाबारूद तथा अग्रिम मोर्चे के सैनिकों के लिये सर्दियों के पोशाक खरीदने की प्रक्रिया में भी जुटी हुई है. एलएसी पर कुछ इलाकों के ऊंचाई वाले स्थानों पर सर्दियों के महीने में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है.
गौरतलब है कि 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कई गुना बढ़ गया. इस झड़प में भारत के 20 सैन्य कर्मी शहीद हो गये. चीन की ओर से भी सैनिक हताहत हुए थे लेकिन उसने इसकी कोई घोषणा नहीं की. हालांकि, एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इसमें चीन के 35 सैन्य कर्मी हताहत हुए थे. गलवान घटना के बाद वायुसेना ने भी कई प्रमुख अड्डों पर वायु रक्षा प्रणाली और लड़ाकू विमान तैनात किये हैं.
Posted By – Arbind Kumar Mishra