ayodhya, ram mandir : राममंदिर निर्माण को लेकर आज राम तीर्थ क्षेत्र की बैठ क हुई, जिसमें मंदिर के निर्माण को लेकर योजना बनाई गई. इस बैठक में निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र सहित अन्य लोग शामिल रहे. बताया जा रहा है कि मंदिर निर्माण में लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा.
राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपय राय ने बताया कि मंदिर का निर्माण 30-40 महीने में पूर्ण हो जाएगा. चंपत राय ने कहा कि मंदिर के निर्माण के लिए लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा. हम ताबें के छड़ों से मंदिर क निर्माण करेंगे.
वहीं राम तीर्थ क्षेत्र ने ट्वीट कर बताया कि मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा. निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएम चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी. श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीरामभक्तों का आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें.
ट्वीट में आगे कहा गया है कि इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं. इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी.
आईआईटी मद्रास का सहयोग-मिट्टी की ताकत को मापने के लिये आईआईटी मद्रास की सलाह ली गई है. उन्होंने बताया कि दो स्थानों से 60 मीटर तथा पांच स्थानों से 40 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं . कुछ जगहों पर 20 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं .
ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) तथा आईआईटी मद्रास के प्रोफेसरों ने मिलकर भूकंप संबंधी विषयों एवं प्रभावों को मापा है. उन्होंने कहा कि मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं किया जायेगा . करीब 3 एकड़ जमीन पर मंदिर का निर्माण होगा और लगभग 1200 खम्भे होंगे.
Posted By : Avinish Kumar Mishra