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मैनहर्ट मामले की जांच का प्रस्ताव तैयार

रांची के शहरी इलाके में सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण योजना का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार मामले की जांच के लिए एसीबी ने सरकार से अनुमति मांगी है.

रांची : रांची के शहरी इलाके में सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण योजना का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार मामले की जांच के लिए एसीबी ने सरकार से अनुमति मांगी है. इसके लिए एसीबी ने विधायक सरयू राय की शिकायत मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को भेजी है. श्री राय ने 31 जुलाई को इस मामले की लिखित शिकायत एसीबी से की थी. कहा था कि निविदा निष्पादन की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है. इससे करोड़ों के सरकारी राजस्व का नुकसान हुआ है. अनावश्यक रूप से संबंधित निविदा विश्व बैंक की क्यूबीएस पर आमंत्रित की गयी थी. ऐसा षड्यंत्र के तहत हुआ था.

निगरानी आयुक्त ने नहीं दी थी जांच की अनुमति : शिकायत में उल्लेख है कि विधानसभा की कार्यान्वयन समिति ने मामले की जांच में पाया कि मैनहर्ट की नियुक्ति अवैध है. लेकिन, रघुवर दास ने कार्यान्वयन समिति की जांच को प्रभावित और बाधित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा. पूर्व में भी इस मामले में निगरानी जांच के लिए वर्ष 2009 में राज्यपाल के तत्कालीन सलाहकार ने निगरानी आयुक्त को आदेश दिया था.

निगरानी ब्यूरो की ओर से निगरानी आयुक्त को पांच बार पत्र लिख कर जांच की अनुमति मांगी गयी थी, जो नहीं मिली. मामले में निगरानी विभाग के तकनीकी परीक्षण को जांच का आदेश दिया गया. इसमें यह स्पष्ट हो गया कि मैनहर्ट अयोग्य था. इसके बाद मामले को दबाये रखा गया. इसी बीच यह मामला न्यायालय में गया और न्यायालय ने भी याचिकाकर्ता को निगरानी के महानिदेशक के पास जाने को कहा. लेकिन निगरानी आयुक्त से अनुमति नहीं मिलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई.

  • विधायक सरयू राय ने 31 जुलाई को एसीबी से की थी इस मामले की लिखित शिकायत

  • कहा : निविदा निष्पादन में हर स्तर पर हुई गड़बड़ी, हुआ करोड़ों के राजस्व का नुकसान

अयोग्य निविदा को रद्द नहीं करने दिया :आरोप है कि निविदा मूल्यांकन में यह पाया गया कि कोई भी निविदा शर्त के अनुरूप नहीं थी. इसलिए तत्कालीन नगर विकास सचिव ने इसे रद्द कर नयी निविदा का प्रस्ताव दिया. लेकिन, तत्कालीन विभागीय मंत्री रघुवर दास ने इसे खारिज कर दिया. परिवर्तित शर्तों पर निविदा का मूल्यांकन हुआ, तब मैनहर्ट अयोग्य हो गया. लेकिन बाद में इस कंपनी को योग्य करार दिया गया.

यह काम मंत्री के दबाव में किया गया, जिसके लिए मूल्यांकन समिति दोषी है. सरयू राय की शिकायत के अनुसार निगरानी विभाग के तकनीकी परीक्षण कोषांग ने अपनी जांच में साबित कर दिया कि मैनहर्ट का चयन अधिक दर पर अनुचित तरीके से किया गया.

Post by : Pritish Sahay

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