चास (राजू नंदन) : झारखंड में मनरेगाकर्मी स्थायीकरण समेत अन्य मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर हैं. इससे पूरे राज्य में मनरेगा का काम प्रभावित है. बोकारो जिले में मनरेगाकर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से केवल बोकारो जिले के सभी प्रखंडों को मिला कर 10 हजार पांच सौ 21 योजनाएं प्रभावित हुई हैं. इससे 35 हजार से अधिक मजदूरों का रोजगार छीन गया है.
यूं कहिए कि हड़ताल से मनरेगा का काम प्रभावित है. मनरेगा से संचालित विभिन्न योजनाओं में कार्यरत जिले में 35000 से भी अधिक मनरेगा मजदूरों के बीच रोजगार का संकट हो गया है. इसके साथ ही पांच हजार से अधिक प्रवासी मजदूरों का रोजगार भी छीन गया है. राज्य सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना आम बागवानी बुरी तरह प्रभावित हुई है.
गौरतलब है कि इस योजना के तहत एक अगस्त से करीब दस दिन के अंदर जिले के चिह्नित सभी गांवों में आम का पौधा लगाने का लक्ष्य निर्धारित है. इसके अलावा टीसीबी, डोभा निर्माण सहित मनरेगा से संचालित अन्य योजनाएं प्रभावित हैं. बारिश के पूर्व ही इन योजनाओं का काम पूरा कर लेना होता है. इधर कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण जिले के आधा दर्जन से अधिक कूप व डोभा के ढहने की सूचना है.
बोकारो जिले में इस वित्तीय वर्ष में मनरेगा की विभिन्न योजनाएं करीब 82 करोड़ की लागत से चल रही हैं. इसके तहत 249 पंचायतों में 776 आम बागवानी योजना व 2654 टीसीबी योजना मुख्य रूप से शामिल हैं. इसके अलावा सभी प्रखंड क्षेत्रों में कूप निर्माण, डोभा निर्माण, खेल मैदान, बकरी शेड, मुर्गी शेड, सूअर पालन घर, सोखता सहित मनरेगा से अन्य योजनाएं संचालित हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों को मनरेगा से 95 दिनों की मजदूरी देनी है. जिले में इन दिनों 8235 प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों को 95 दिनों की मजदूरी देने का लक्ष्य है. मनरेगा के तहत कुछ प्रखंड क्षेत्रों में कुछ लाभुकों को ही मजदूरी भुगतान करने में सफलता मिली है.
बोकारो जिले में मनरेगा में एक सौ दिन कार्य करने के लिए 2.50 लाख लोगों को जॉब कार्ड निर्गत है. इसके तहत पति-पत्नी सहित परिवार के अन्य सदस्य मिलाकर 2.50 लाख जॉब कार्ड पर चार लाख लोग मनरेगा के तहत काम कर सकते हैं, लेकिन बोकारो जिले में फिलहाल 1.50 लाख मजदूर हैं, लेकिन अभी तक जिले के किसी भी प्रखंड क्षेत्र में शत-प्रतिशत मनरेगा मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाया है. इस वित्त वर्ष में जिले में अभी तक सिर्फ 35000 मजदूरों को ही रोजगार मिल पाया है.
पेटरवार प्रखंड कार्यालय के निकट सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए प्रखंड के सभी मनरेगाकर्मियों की बैठक मंगलवार को अशोक कुमार रजवार की अध्यक्षता में की गयी. अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर मनरेगा कर्मी 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. बैठक के दौरान मनरेगाकर्मियों ने निर्णय लिया कि जब तक सरकार की ओर से हमारी मांगों को नहीं माना जाता है, हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहेंगे. मनरेगा कर्मियों ने कहा कि विगत 13 वर्षों से मनरेगाकर्मी कम मानदेय पर बिना किसी सामाजिक सुरक्षा पर कार्य करते आ रहे हैं. मनरेगा के कार्यो के अलावा लोकसभा, विधान सभा व पंचायत चुनाव, जनगणना, कोविड-19 जैसे कार्यों को अंजाम देते आ रहे हैं. उसके बावजूद इस मामले में सरकार गंभीर नहीं है. अगर सरकार का यही रवैया रहा तो राज्य भर के मनरेगाकर्मी सामूहिक रूप से इस्तीफा देने के लिए बाध्य हो जायेंगे.
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ जिला शाखा बोकारो के महासचिव सुनील दास ने बताया कि मनरेगाकर्मियों के साथ राज्य सरकार की ओर से कभी भी मांग पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया गया है. इसको देखते हुए सभी मनरेगाकर्मी राज्यव्यापी हड़ताल पर हैं. अगर 20 अगस्त तक राज्य सरकार की ओर से मांगों को नहीं पूरा किया गया तो सभी मनरेगाकर्मी सामूहिक इस्तीफा दे देंगे.
मनरेगा के जिला परियोजना पदाधिकारी पंकज दुबे ने कहा कि हड़ताल के कारण मनरेगा के कार्यों पर असर नहीं है. शुरू में कुछ दिन काम प्रभावित था, लेकिन राज्य सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था के कारण जिले में प्रतिदिन 13000 से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. मनरेगा की जगह पर इन दिनों स्वयंसेवक, महिला सहायता समूह व जेएसएलपीएस के सदस्यों से काम कराया जा रहा है.
Posted By : Guru Swarup Mishra