भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी का विवाद पुराना है. इसी बीच चीन ने इस मामले में चतुराई दिखाई है. जानकारी के अनुसार बांग्लादेश की तीस्ता नदी परियोजना के लिए चीन एक बिलियन का कर्ज देगा. यदि ऐसा होता है तो पडोसी देश बांग्लादेश भी नेपाल और पाकिस्तान की तरह भारत विरोधी रुख अपना सकता है. सूत्रों के अनुसार विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला आज बांग्लादेश जाएंगे.
बांग्लादेश की मीडिया के अनुसार ढाका को चीन से लगभग 1 बिलियन अमेरीकी डालर का ऋण प्राप्त होगा जिससे तीस्ता नदी परियोजना को मदद पहुंचेगी. इस मदद से गर्मी के दिनों में नदी के जलस्तर को बनाए रखने में बांग्लादेश अहम कदम उठा सकेगा. जल को लेकर भारत के साथ समझौता नहीं हो पाने के बाद यह आर्थिक मदद कारगर सिद्ध होगा.
बांग्लादेश जल विकास बोर्ड में अतिरिक्त मुख्य अभियंता ज्योति प्रसाद घोष ने कहा कि इस मदद के बाद हम अब दिसंबर तक परियोजना को शुरू कर सकेंगे. आपको बता दें कि तीस्ता नदी भारत के सिक्किम राज्य से निकलती है और पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश की जमुना यानी ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है. सिक्किम और उत्तरी पश्चिम बंगाल के पांच ज़िलों में करीब एक करोड़ लोग इस नदी पर निर्भर हैं. वहीं दूसरी ओर, बांग्लादेश की बड़ी आबादी भी इसी पर निर्भर है.
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भारत के लिए इसलिए है महत्वपूर्ण : सिक्किम और पश्चिम बंगाल ने तीस्ता नदी में कई बांध और विद्युत जल परियोजना चला रखा है. इसके अलावा सिंचाई के लिए नहरों का भी निर्माण किया गया है जिस वजह से नदी में पानी कम हो रहा है. तीस्ता नदी का पानी सिक्किम होते हुए पश्चिम बंगाल और फिर बांग्लादेश पहुंचता है. इस दौरान कई बांधों और जल परियोजना में तीस्ता नदी का इस्तेमाल होता है.
चीन लगातार घेर रहा है भारत को : बांग्लादेश को भारत का स्वाभाविक पार्टनर माना जाता था, लेकिन अब यह धारणा टूटती नजर आ रही है. बांग्लादेश के निर्माण में भारत की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन चीन पाकिस्तान के क़रीब तो है ही बांग्लादेश के भी क़रीब आ गया है. हाल के दिनों में नेपाल ने भी जिस तरह का रूख अपनाया है उससे जाहिर है कि चीन भारत को चारों ओर से घेरने में लगा हुआ है.
54 नदियां बहती है दोनों देशों के बीच : गौर हो कि भारत और बांग्लादेश के बीच 54 नदियां बहती है. बांग्लादेश लंबे समय से मांग कर रहा है कि इन सभी नदियों पर एक व्यापक समझौता होना चाहिए.
Posted By : Amitabh Kumar