आनंद मोहन, रांची : धनबाद में 300 करोड़ रुपये से अधिक के भूमि अधिग्रहण मुआवजा घोटाले की जांच पूरी हो गयी है. बिचौलियों व भू-अर्जन के पदाधिकारियों की मिलीभगत से आदिवासी रैयतों का 50 करोड़ से अधिक का मुआवजा दलाल हड़प गये हैं. सरकार के निर्देश पर एसीबी ने पूरे मामले की जांच की है. पांच वर्षों से जांच चल रही है, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई है. इस मामले में कार्रवाई के लिए सरकार के आदेश का इंतजार है. डेढ़ वर्ष पूर्व ही जांच कर रहे पदाधिकारियों ने आगे की कार्रवाई के लिए सरकार को लिखा है. एसीबी ने इस मामले में कई गिरोह की शिनाख्त की है. साथ ही कई बड़े पदाधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आयी है.
धनबाद जिले में विभिन्न योजनाओं के लिए अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में भारी पैमाने पर गड़बड़ी सामने आयी, तो नौ जुलाई 2015 को सरकार ने एसीबी को जांच का जिम्मा दिया. एसीबी ने तीन अलग-अलग मामले में एफआइआर दर्ज की. एसीबी ने धनबाद रिंग रोड और तिलाटांड में आवास योजना के तहत जमीन अधिग्रहण में अनियमितता के देखते हुए तीन एफआइआर किये. एफआइआर के बाद जांच आगे बढ़ी. सूचना के मुताबिक एसीबी ने जांच पूरी कर ली है. इस मामले में अब केवल सरकार के आदेश का इंतजार है.
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2015 में एसीबी को मिला जांच का जिम्मा
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तीन मामलों में दर्ज हुई थी एफआइआर
ऐसे हुआ खेल- यहां हुआ था अधिग्रहण : रिंग रोड परियोजना, तिलटांड आवास परियोजना, धैया में आइएसएम विस्तारीकरण परियोजना, भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, गोलकडीह में बीसीसीएल कोलियरी विस्तारीकरण परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण सरकार मामले को गंभीरता से लेगी. विजिलेंस के संबंधित पदािधकारी से बात करेंगे. एसटी आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी यह मामला मेरे सामने आया था. न्यायपूर्ण कार्रवाई होगी.-रामेश्वर उरांव, वित्त मंत्री
क्या कहते हैं शिकायतकर्ता : मुआवजा घोटाले में सामाजिक कार्यकर्ता रमेश राही ने लंबी लड़ाई लड़ी. आरटीआइ के माध्यम से इन्होंने कई सूचनाएं निकालीं. श्री राही कहते हैं कि इस मामले में सरकार के स्तर पर लापरवाही हो रही है. आदिवासी परिवार व दूसरे रैयतों को इंसाफ नहीं मिल रहा है. यह घोटाला 500 करोड़ से ज्यादा का है. कई अफसर शामिल हैं, लेकिन बचाने का प्रयास हो रहा है. सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए.
लूटे गये आदिवासी, दो भुक्तभोगी की हो गयी मौत : मुआवजा घोटाले में दर्जनों आदिवासी परिवार को लूटा गया. रसिक टुडू, गणेश, देवराज, हेमलाल मुर्मू, रविसर सोरेन जैसे कई परिवारों के फर्जी दस्तावेज के सहारे लाखों का मुआवजा हड़प लिया गया. इसके एवज में विस्थापितों को हजार-दो हजार रुपये दे दिये गये. इसी तरह जलेश्वर महतो, महादेव रवानी, दीपक समेत सैकड़ों परिवार ठगे गये. भुक्तभोगी श्यामलाल हांसदा और मांझी की मौत भी हो गयी.
केंद्रीय एसटी कमीशन ने जांच में पायी थी गड़बड़ी : केंद्रीय जनजाति आयोग ने धनबाद मुआवजा घोटाले में आदिवासियों के साथ की गयी धोखाधड़ी की जांच की थी. आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की पहल पर जांच हुई थी. आयोग ने जांच के दौरान कई आदिवासी परिवार से संपर्क किया था. अफसरों से पूछताछ हुई थी. इस मामले में तत्कालीन उपायुक्त व सरकार को आयोग ने कई निर्देश दिये थे. आयोग की रिपोर्ट पर भी कार्रवाई नहीं हुई.
Post by : Pritish Sahay