‘संगीत मार्तंड’ पंडित जसराज का सोमवार को अमेरिका के न्यू जर्सी में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 28 जनवरी, 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे, जो चार पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ा रहा था. उनके पिता पंडित मोती राम हैदराबाद के आखिरी निजाम उस्मान अली खां के दरबार में मेवाती घराने से ताल्लुक रखने वाले हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे जाने-माने गायक थे. साल 1933 में पिता के निधन के बाद बालक जसराज ने बड़े भाई के साथ पिता की विरासत को बढ़ाना शुरु किया.
जसराज तबला बजाते थे और बड़े भाई गाना गाता थे. लंबे समय बाद जसराज को अहसास हुआ कि उन्हें तो पिता जी की तरह शास्त्रीय गायक बनना है, तबला नहीं बजाना. लिहाजा, 14 साल की उम्र में उन्होंने तबला बजाना छोड़ दिया और अपने आप से वादा किया कि वे तब तक बाल नहीं कटवायेंगे, जब तक शास्त्रीय गायन में विशारद हासिल नहीं कर लेंगे. यहीं से जसराज के रसराज बनने का सफर शुरू हुआ.
एक दिन उन्हें ऑल इंडिया रेडियो पर शास्त्रीय संगीत पेश करने के लिए बुलाया गया. उस दिन उन्होंने जूड़े में गुंधे बाल कटवाये और स्टूडियो पहुंच गये. यह वो दिन था जब दुनिया ने शास्त्रीय संगीत की एक ऐसी सुरीली आवाज को पहली बार सुना जिसे नजरअंदाज कर पाना मुमकिन ही नहीं था. जिसने भी आवाज सुनी, गायक का नाम जरूर पूछा.. और जवाब मिला – पंडित जसराज. इसके बाद वे रूके नहीं.
‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ हो या ‘ओम नम: शिवाय’, पंडित जी की आवाज और शास्त्रीय गायन अपने-आप में प्रार्थना का रिवाज बन चुका था. पंडित जसराज के निधन की खबर देते हुए उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण उनका स्वर्ग में प्यार से स्वागत करें जहां अब पंडित जी ओम नमो भगवते वासुदेवाय सिर्फ अपने प्यारे भगवान के लिए गायेंगे.
पद्म विभूषण 2000
पद्म भूषण 1990
पद्मश्री 1975
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संगीत नाटक अकादमी
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मास्टर दीनानाथ मंगेशकर
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महाराष्ट्र गौरव अवॉर्ड
पत्नी : मधुरा एक कामयाब डॉक्यूमेंटरी फिल्म मेकर हैं.
बच्चे : बेटा शारंगदेव पंडित और बेटी दुर्गा जसराज टीवी कलाकार हैं.
कार्यक्षेत्र : देश-विदेश में क्लासिकल संगीत की शिक्षा दी. भारत के अलावा अमेरिका और कनाडा में कई म्यूजिक इंस्टिट्यूट उन्होंने खोले.
नासा ने एक क्षुद्र ग्रह का नाम पंडित जसराज के नाम पर रखा. यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय कलाकार थे.
मशहूर गायिका बेगम अख्तर के मुरीद थे पंडित जसराज. उनकी गजल ‘दीवाना बनाना है, तो दीवाना बना दे वरना तकदीर तमाशा ना बना दे’ के थे दीवाने.
1955 में फिल्म ‘झनक-झनक पायल बाजे’ के सेट पर वी शांताराम की बेटी मधुरा से मुलाकात, 1962 में की शादी.
पंडित जसराज ने एक अनोखी जुगलबंदी ‘जसरंगी’ की रचना की थी. उन्होंने अबीरी तोड़ी और पटदीपकी जैसे नये रागों का भी सृजन किया.
बाबा श्याम मनोहर गोस्वामी महाराज के सान्निध्य में पंडित जसराज ने ‘हवेली संगीत‘ पर व्यापक अनुसंधान कर कई नवीन बंदिशों की रचना भी की थी.
मधुराष्टकम्, जो श्री वल्लभाचार्य जी की रचित श्री कृष्ण की बहुत ही मधुर स्तुति है, को जसराज ने घर-घर पहुंचाया. वह हर प्रोग्राम में इसे जरूर गाते थे.
1966 में वी शांताराम की फिल्म ‘लड़की सहयाद्रि की’ में गाया ‘वंदना करो’ भजन
1975 में ‘बीरबल माय ब्रदर’ के लिए पंडित भीमसेन जोशी के साथ जुगलबंदी की
2008 में विक्रम भट्ट की फिल्म ‘1920’ के लिए उन्होंने ‘वादा है तुमसे’ गाना भी गाया.
2008 में विक्रम भट्ट की फिल्म ‘1920’ के लिए उन्होंने ‘वादा है तुमसे’ गाना भी गाया.
2012 में इरफान खान की फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ के लिए एक गीत गाया.
मां सरस्वती के उपासक पंडित जसराज जी के स्वर्गवास की खबर सुनकर मुझे दुख हुआ. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें. लता मंगेशकर
मैंने एक ऐसे व्यक्ति को खो दिया है, जो मेरे लिए बेहद प्रिय था. वे मुझे हमेशा कहा करते थे, ‘मैं तुझे गाना सिखाऊंगा!’ आशा भोंसले
यह म्यूजिक वर्ल्ड के लिए दुख भरा दिन है. उनका जाना एक युग का अंत है. उनकी विरासत को लोग सदियों तक याद रखेंगे. अमजद अली खान
मूर्धन्य गायक, मेवाती घराने के गौरव पंडित जसराज जी नहीं रहे. संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है. विनम्र श्रद्धांजलि! मालिनी अवस्थी
Post by : Pritish Sahay