काठमांडू : भारत और नेपाल (Indian nepal Dispute) के शीर्ष राजनयिकों ने सोमवार को डिजिटल बैठक कर भारत की मदद से नेपाल में चल रही विकास संबंधी विभिन्न परियोजना की प्रगति की समीक्षा की. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (K P Sharma Oli) ने फोन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को भारत के 74वें गणतंत्र दिवस की बधाई दी थी, जिसके बाद यह बैठक हुई है. भारत के सहयोग से नेपाल में चलन रहे विकास परियोजनाओं में तेजी लाने पर विस्तार से चर्चा हुई.
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि भारत-नेपाल के बीच बातचीत में द्विपक्षीय सहयोग वाले प्रोजेक्ट्स, तराई रोज, क्रॉस बॉर्डर रेलवे, अरुण-3 हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट, पेट्रोलियम पाइपलाइन, पंचेश्वर प्रोजेक्ट, भूकंप के बाद के निर्माण आदि पर चर्चा हुई. नेपाल ने मई में नया राजनीतिक मानचित्र जारी करने से भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में तल्खी आने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली उच्च-स्तरीय वार्ता है.
नेपाल के विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नेपाली विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और नेपाल में भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा ने इस समीक्षा बैठक में अपने-अपने देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई और कई मुद्दों पर आपसी सहमति भी बनी.
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सूत्रों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते डिजिटल माध्यम से हुई इस बैठक में नेपाल में भारत की मदद से चल रही विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं की समीक्षा की गयी. बैठक के बारे में और जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था.
नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है. इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया है. जून में नेपाल की संसद ने देश के नये राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है.
Posted by: Amlesh Nandan Sinha.