दरभंगा : तालाबों का शहर दरभंगा हफ्तों से डूबा हुआ है. शहर के कई मोहल्लों में नाव चल रही है. कई इलाकों में ठहरा हुआ पानी बदबू देने लगा है. उफनाई बागमती नदी का पानी दूसरे दिन सोमवार को भी कम हुआ है. वैसे रविवार के अपेक्षा आज कमी की गति थोड़ा कम देखा गया. बीते दो दिनों से बाढ़ का पानी इंच-इंच भर घटने से बाढ़ पीड़ित थोड़ी राहत जरुर महसूस कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या बढ़ती ही जा रही है. पीड़ितों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. मौसम विभाग द्वारा वर्षा होने के जारी अलर्ट व आसमान में बादल घुमरते देख लोग सशंकित हैं. खाने-पीने से लेकर आवागमन तक में कठिनाइयों का सामना लोगों को करना पड़ रहा है. घरों में पानी घुसने के कारण खुले में तंबू में रहने वाले बाढ़ पीड़ितों की स्थिति विकट बनी हुयी है.
लॉकडाउन के बाद बाढ़ से रोजगार चौपट होने से आय के श्रोत भी बंद है. वार्ड आठ, नौ व 23 के मोहल्लावासियों की जिंदगी भगवान भरोसे कट रही है. लोगों को आवागमन के लिये निजी नाव चालक को पैसा देना होता है. वार्ड छह, सात, 20, 21, 22, 24, 30 में भी थोड़ा पानी कमा है. कादिराबाद चूड़ी मंडी, सेनापत, जेपीचौक, भगवानदास, जेठियाही मोहल्ला में नददी से पानी का लगातार आना जारी है. हालांकि पानी की रफ्तार पहले से कम है. दरभंगा टावर चौक की सड़क पर पसरा पानी भी कम होने लगा है.
बागमती नदी के पूर्वी भाग से पानी निकालने के लिये निगम प्रशासन ने विभिन्न वार्डो में 14 पंप लगा रखा है. स्लूइस गेट तथा शिवाजीनगर मोहल्ला में चीरे गये नाला से आ रहे बाढ़ का पानी निकालने के लिये पंपसेट लगाये गये हैं. हालाकि स्लूइस गेट से धीमी गति से पानी का रिसना जारी है. पंप सेट लगाये जाने से निगम कार्यालय परिसर तथा मुख्य पथ पर फैला पानी कम हुआ है. एकमीघाट पर 80 एचपी के दो पंप, गीदरगंज में एक, शेर मोहम्मद में 26 एचपी के एक, किलाघाट पुल निकट एक, वार्ड 30 व 31 के सीमा पर सहनी टोल में 10 एचपी का एक, मिश्रीगंज पटेल चौक पर एक, शिवाजीनगर में एक, खान चौक पर एक, न्यू बलभद्रपुर में पांच एचपी के एक, रेलवे कॉलोनी में एक, साहसुपन में एक, दरभंगा गुदरी केला मंडी में एक तथा डीएमसीएच में 10 एचपी का एक पंप लगाया गया है. मंगलवार को बेला परमेश्वर चौक पर पांच एचपी का पंप सेट लगाकर पानी निकालने की तैयारी निगम कर रहा है.
पूर्वी भाग में बाढ़ के फैले पानी का रंग बदलने के साथ ही उससे उठते सड़ांध से मोहल्लावासियों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है. नदी का मटमैला पानी कहीं-कहीं हल्का हरा रंग तो कही-कहीं काला हो गया है. आने-जाने से लेकर खाने-पीने में भी समस्या होना हो रही है. मच्छर की संख्या में भी वृद्धि हुई है.
posted by ashish jha