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दो लाख का ईनामी नक्सली छोटू मांझी गिरफ्तार, तीन दर्जन से अधिक नक्सली घटना का है अभियुक्त

लुगू व जिनगा पहाड़ी के बीच विषम भौगोलिक क्षेत्र में स्थित अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र टूटीझरना(तिलैया) से बोकारो पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस बलों ने यहां से दो लाख के ईनामी नक्सली छोटू मांझी उर्फ छोटू दा को दबोचने में कामयाब हुई है. सूत्रों के अनुसार, हथियार भी बरामद किये गये हैं. लेकिन, पुलिस कुछ भी नहीं बता रही है. जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार नक्सली छोटू मांझी पर बोकारो, गिरिडीह आदि के विभिन्न थानों में तीन दर्जन से अधिक नक्सली कांडों में संलिप्त रहने का आरोप है और दर्ज मामलों का अभियुक्त है. यह झुमरा क्षेत्र का कुख्यात नक्सली कमांडर दुर्योधन महतो उर्फ मिथिलेश सिंह उर्फ बड़का दा के दस्ते में सर्वाधिक रूप से सक्रिय रहा है.

महुआटांड़ : लुगू व जिनगा पहाड़ी के बीच विषम भौगोलिक क्षेत्र में स्थित अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र टूटीझरना(तिलैया) से बोकारो पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस बलों ने यहां से दो लाख के ईनामी नक्सली छोटू मांझी उर्फ छोटू दा को दबोचने में कामयाब हुई है. सूत्रों के अनुसार, हथियार भी बरामद किये गये हैं. लेकिन, पुलिस कुछ भी नहीं बता रही है. जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार नक्सली छोटू मांझी पर बोकारो, गिरिडीह आदि के विभिन्न थानों में तीन दर्जन से अधिक नक्सली कांडों में संलिप्त रहने का आरोप है और दर्ज मामलों का अभियुक्त है. यह झुमरा क्षेत्र का कुख्यात नक्सली कमांडर दुर्योधन महतो उर्फ मिथिलेश सिंह उर्फ बड़का दा के दस्ते में सर्वाधिक रूप से सक्रिय रहा है.

बताया जाता है कि इसकी पत्नी भी दस्ते में उसके साथ रहती थी. लेकिन कुछ तीन-चार माह पूर्व उसकी पत्नी की मौत हो गयी. जिसके बाद से वह अपने पैतृक गांव टूटीझरना में रहने लगा. इसी 26 जुलाई से लेकर 3 अगस्त तक माओवादियों के शहादत दिवस को लेकर चलाये जा रहे अभियान के दौरान पुलिस को संबंधित सूचना मिली. जिसके आधार पर आखिरकार, पुलिस ने छोटू मांझी को गुरुवार को दबोच ही लिया. बहरहाल, मामले में पुलिस की ओर से अनभिज्ञता जाहिर की जा रही है.

लेकिन हमारे सूत्र बता रहे हैं कि बेरमो के किसी थाने में उससे गहन पूछताछ की जा रही है. पुलिस को उम्मीद है कि उससे पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिल सकती है. यह भी खबर है कि एक अन्य युवक को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है. बताया जाता है कि करीब 18-19 साल बाद छोटू मांझी अपने घर पहुंचा था. बताया जाता है कि छोटू मांझी नक्सली दस्ते में दूसरी पंक्ति में रहने वाला तेज-तर्रार नक्सली था. यही कारण है कि बोकारो पुलिस द्वारा दुर्दांत नक्सलियों के नाम, पता व ईनाम से संबंधित पोस्टर में इसका जिक्र है.

Posted By: Pawan Singh

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