राजदेव पांडेय की रिपोर्ट
पटना : उद्योग विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के रिसाइक्लिंग प्लांट के लिए जमीन देने का निर्णय लिया है. बियाडा ने अब तक प्रदेश के 52 औद्योगिक क्षेत्रों में 27 में इ-कचरे के रिसाइक्लिंग प्लांट स्थापित करने के लिए प्लाॅट निर्धारित कर दिये हैं. एनजीटी की गाइडलाइन के मद्देनजर बियाडा के इस कदम से इ-कचरे को प्रदेश में ही रिसाइकल किया जा सकेगा. वर्तमान में प्रदेश में इ-वेस्ट के लिए एक भी वैध रिसाइक्लिंग प्लांट नहीं है. बिहार में प्रति व्यक्ति करीब 100 से 200 ग्राम इ-कचरा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में बिहार में एक लाख टन से अधिक इ-कचरा निकल रहा है. पिछले सात वर्षों में 400% इ-कचरा बढ़ने का अनुमान है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सबसे पहले बिहार में 2013 में इ-कचरे का आकलन किया गया था. इसके मुताबिक 2013 में बिहार के महज चार शहरों में 23241 टन इ-कचरा फेंका जा रहा था. तब इ-कचरा संग्रह के लिए राज्य में कलेक्शन सेंटर नहीं थे. इस सर्वे के दौरान अनुमान लगाया गया था कि अगर इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकलने की दर 58 फीसदी बरकरार रही, तो राज्य के पांचों बड़े शहरों में 2020 के अंत तक 93578 टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्सर्जित होगा. जानकारों के मुताबिक राज्य के शेष शहरों में पांच से सात हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकल रहा है.
वर्तमान में कचरा संग्रह के लिए राज्य में 150 से अधिक कचरा संग्रह सेंटर बनाये गये हैं. इनमें इलेक्ट्रॉनिक कचरा इकट्ठा करने की जिम्मेदारी संबंधित कंपनियों को दी गयी है.
हकीकत में11 ये सेंटर काम नहीं कर रहे हैं. अभी कंपनियां अपनी तरफ से एकत्रित कचरे को अपने-अपने रीसाइक्लिंग सेंटर्स को भेजती हैं. ये सभी सेंटर्स नोएडा व दक्षिण भारत के कुछ शहरों में स्थापित हैं.
शहर 2013 2020
पटना 10259 38415
मुजफ्फरपुर 3465 16611
भागलपुर 3061 11648
गया 3623 14254
दरभंगा 2833 12650
इ-वेस्ट में सबसे घातक पारा और सीसा जैसे तत्व हैं, जो भूजल को जहरीला बना रहे हैं. इन दोनों तत्वों की कुल इलेक्ट्रॉनिक कचरे में भागीदारी 40 फीसदी के आसपास है. इ-कचरे में लेड, मरकरी, कैडमियम और कोबाल्ट जैसे खतरनाक तत्व होते हैं. इसके संपर्क में आने से तंत्रिका तंत्र (न्यूरो), सांस, त्वचा, कैंसर व दिल संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए रिसाइक्लिंग सेंटर्स की स्थापना में काफी एहतियात बरते जाते हैं.