रांची : राज्य भर में 152 बैैंक कर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. राज्य का कोई भी बैंक जोन कोरोना से अछूता नहीं है. धनबाद, रांची व हजारीबाग में ही संक्रमण के दो तिहाई मामले सामने आये हैं. धनबाद में 43, हजारीबाग में 35, रांची में 29 बैंक कर्मियाें में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है. अकेले एसबीआइ के 90 स्टॉफ कोरोना पॉजिटिव हैं. इधर बैंक यूनियनों ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के साथ ही राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति से, बैंकों का समय घटाने तथा अपनी सुरक्षा की मांग की है.
प्रशासन का नहीं मिल रहा सहयोग : सोशल डिस्टैंसिंग भी बैंक कर्मियों को ही मेंटेन करवानी है, क्योंकि हर जगह जिला प्रशासन यह चेतावनी भी बैंकों को दे रहा है कि अगर यह नहीं लागू किया गया, तो बैंक कर्मी ही इसके लिए जिम्मेदार होंगे. अब न तो इतने पुलिसकर्मी या गार्ड उपलब्ध हैं, जो बैंकों के पास हर समय खड़े रहें, तो जाहिर सी बात यह है कि लाइन लगवाने से लेकर सामाजिक दूरी का पालन करवाने में बैंकों को पसीना छूट रहा है.
यूनियन ने समय घटाने की मांग की : झारखंड में एआइबीए, बेबी, एसबीआइएसए, एआइबीओसी ने संयुक्त रूप से व्यवसाय को पहले की तरह ही 10.00 बजे से 2.00 बजे तक करने की मांग की है. इनका मानना है कि अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों में अल्टरनेट डे बैंक खोलने, कर्मचारियों की उपस्थिति 50 प्रतिशत करने मात्र से ही संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाएगा.
काम के दौरान हो रही मौत : कोरोना से कई बैंक कर्मी की मौत काम के दौरान हो रही है. हाल ही में झारखंड राज्य सहकारिता बैंक, बैंक ऑफ इंडिया नगर उंटारी शाखा, यूनियन बैंक के सीनियर ब्रांच मैनेजर (स्केल-3) की मौत शाखा के अंदर हो गयी है.
बैंकर्स को सता रहा कोरोना पॉजिटिव होने का भय : कोरोना के खौफ के बीच बैंककर्मी फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स के रूप में काम कर रहे हैं. बैंकर्स का मानना है यह सब हताश करने वाला है. हम पहले से ही खतरा मोल लेकर अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं. खेती- किसानी के सीजन में अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों की बैंक शाखाओं में खाताधारियों की भीड़ देखने को मिल रही है. खाते में मौजूद बैलेंस, विदड्रावल स्लिप भरवाने व नकदी लेन-देन के लिए हर शाखा में कम से कम चार लोग ग्राहकों से सीधे संपर्क में आ रहे हैं.
बैंकों का व्यवसाय प्रभावित होने के डर से प्रबंधन अब कोरोना के आंकड़ों को छुपाने में लग गया है. अगर संक्रमण के मामले इसी तेजी से बढ़ते गए तो जल्द ही बैंकों के बाहर ताला लटक सकता है. समय आ गया है जब सुरक्षा के मद्देनजर बैंकों को नियंत्रित तरीके से चलाया जाना चाहिए.
एम एल सिंह, जेनरल सेक्रेट्री, बेफी, झारखंड
Post by : Pritish Sahay