कृष्णगंज (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल के नदिया जिला में एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) से जुड़ी महिलाओं ने जलकुंभी के फूलों से पर्यावरण अनुकूल राखियां बनायी हैं. संगठन के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी.
ईको क्राफ्ट नामक गैर सरकारी संगठन के सचिव स्वप्न भौमिक ने कहा कि अपनी तरह की इस अनोखी पहल में राखियों को रंगने के लिए रासायनिक रंगों का इस्तेमाल नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि माझदिया क्षेत्र में एक स्वयंसेवी संगठन के सदस्यों ने ऐसी 400 से अधिक राखियां बनायी हैं.
भौमिक ने कहा कि देवाशीष बिश्वास नामक कारीगर ने तालाबों से जलकुंभी एकत्र की और उन्होंने महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया.
Also Read: बंगाल पुलिस से बचने के लिए सीवान में किडनैपर ने नहर में लगा दी छलांग, पुलिस पर की फायरिंग
उन्होंने कहा, ‘जलकुंभी के उन्हीं पौधों से राखी बनायी जा सकती है, जिनके तनों की लंबाई कम से कम ढाई फीट हो. पौधों को धोया जाता है, पत्तियां अलग की जाती हैं और तनों को सुखाया जाता है. इसके बाद तनों के भीतर के रेशे को निकालकर राखी बनायी जाती है.’
भौमिक ने कहा कि हावड़ा जिला में रेलवे मजदूर संघ ने 100 जलकुंभी राखियों का ऑर्डर दिया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा हुगली जिले में स्थित बंडेल और नदिया जिले में 150-150 राखियां भेजी गयी हैं.
उन्होंने कहा कि आकार के हिसाब से राखियों मूल्य 5 रुपये, 10 रुपये और 15 रुपये निर्धारित किया है. भौमिक ने कहा कि इससे पहले एनजीओ ने जलकुंभी से थैले और रस्सियां बनायी थी.
Posted By : Mithilesh Jha