भागलपुर : रानी व टपुआ दियारा के कटाव के कारण विस्थापित हुए लोगों को नयी जगह बसाने की प्रक्रिया जिला प्रशासन के स्तर से चल रही है. इसी कड़ी में कहलगांव के एसडीओ को जिला स्तर से शुक्रवार को निर्देश दिया गया है कि वे एक बार फिर विस्थापितों के पास जाएं. एक शिविर का आयोजन कर सभी पीड़ितों से दोबारा यह पूछने कहा गया है कि जो जमीन उन्हें दी जा रही है, उस पर वे बसने को पूरी तरह तैयार हैं या नहीं. कटाव पीड़ितों का एफिडेविट जिला प्रशासन को मिलारानी व टपुआ दियारा के कटाव पीड़ितों के साथ गत एक जुलाई को जिला व अनुमंडल प्रशासन ने बैठक की थी. पीड़ितों को जो जमीन बसने के लिए दी जायेगी, उसके बारे में बैठक में बताया गया था और जमीन पसंद होने पर प्रत्येक पीड़ित को सहमति के रूप में एक एफिडेविट देने का निर्देश दिया गया था.
सभी लोगों ने अपना-अपना एफिडेविट अनुमंडल प्रशासन को सौंप दिया और अनुमंडल प्रशासन ने जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दिया है. चार अधिकारियों ने मिल कर उपलब्ध कराया है जमीन का प्रस्तावरानी और टपुआ दियारा के विस्थापितों को बसाने के लिए कहलगांव व पीरपैंती में तीन अलग-अलग जगह मिला कर लगभग 53 एकड़ जमीन चिह्नित की गयी है. इसमें पीरपैंती में ब्लॉक कार्यालय के बगल में और कहलगांव में एनएच 80 के किनारे. पीरपैंती की जमीन विकासशील कैटेगरी की है, जबकि कहलगांव की जमीन कृषि कैटेगरी की.
इसका प्रस्ताव कहलगांव व पीरपैंती के सीओ, कहलगांव के डीसीएलआर व एसडीओ ने मिल कर तैयार कर जिला राजस्व शाखा को भेज दिया है.अभी 624 लाभुक चिह्नित, बढ़ सकती है संख्याविस्थापितों को जमीन देने के लिए प्रशासन ने सर्वे कराया है. फिलहाल 624 विस्थापितों की सूची तैयार की गयी है. विस्थापितों की संख्या लगभग 850 तक बढ़ सकती है. उनके लिए जमीन खरीदने से पहले जमीन मालिकों के साथ एग्रीमेंट होगा, ताकि बाद में किसी तरह से बात में फेरबदल न हो. फिलहाल दो जगहों पर रह रहे विस्थापितरानी व टपुआ दियारा के कट जाने के बाद से लोग कहलगांव के किशनदासपुर पंचायत स्थित रेलवे की जमीन पर और शिवनारायणपुर में रेलवे की जमीन पर शरण लिये हुए हैं. यहां प्रशासन के द्वारा तात्कालिक सुविधा भी दी गयी है