बड़गड़. : बड़गड़ प्रखंड में मजदूरों के लिए चलायी जा रही मनरेगा व अन्य विकास योजनाओं में बिचौलियागिरी के कारण यह योजना अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहा है. मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाने के कारण वे इसके लाभ से वंचित रह जा रहे हैं. गौरतलब है कि सरकार प्रवासी मजदूर व स्थानीय मजदूरों को कोरोना काल में उत्पन्न रोजी-रोटी के दिक्कत को देखते हुए इन्हें रोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से छोटी-छोटी योजनाएं संचालित कर रही है. इसका एकमात्र उद्देश्य मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देना है. लेकिन इसके उलट संबंधित विभाग के पदाधिकारियों व कर्मियों मिलीभगत से मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.
प्रखंड में चल रहे मनरेगा व 15वें वित्त आयोग द्वारा संचालित संयुक्त योजनाओं में बिचौलिये इस कदर हावी हैं कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता को ताक पर रखकर कार्य कराया जा रहा है. प्रखंड में चल रहे मनरेगा की योजनाओं में ठेकेदारी प्रथा लागू हो गयी है. मनरेगा कर्मियों की मिलीभगत से बिचौलिये काम नहीं करनेवाले मजदूरों के जॉब कार्ड का उपयोग कर मजदूरी की राशि निकाल रहे हैं. इस वजह से क्षेत्र के वास्तविक मनरेगा मजदूर काम मिलने से वंचित रह जा रहे हैं.
इस कारण कोरोना संक्रमण की महामारी काल में जान जोखिम में डालकर यहां के मजदूर रोजगार के अभाव में फिर से पलायन करने को मजबूर हैं. वर्तमान में प्रखंड के सभी पंचायतों में जहां चापाकल स्थापित है, वहां मनरेगा व 15वें वित्त आयोग की राशि से सोख्ता पीट्स का निर्माण कार्य चल रहा है.
इसमें संबंधित योजना स्थल के स्थानीय लाभुकों को लाभ देने के बजाय बिचौलियों के माध्यम से कार्य कराया जा रहा है. उक्त योजना में बिचौलियों द्वारा गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं किया जा रहा है. अच्छी गुणवत्ता के ईंट लगाने के बजाय खराब ईंट का प्रयोग किया जा रहा है. वहीं सोख्ता के ढक्कन में बगैर छड़ का उपयोग किये ढक्कन बना कर लगाया जा रहा है. जो निर्माण की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. साथ ही प्रखंड के स्थानीय मनरेगा व प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं.
बड़गड़ पंचायत के कोरहटी टोला के रहने वाले प्रवासी मजदूर अमित खलखो, जगरनाथ लकड़ा, प्रमाण खलखो, रामसकल कोरवा, जगदीश लकड़ा, मुकेश खलखो, एलारूस बाखला सहित बढ़नी एवं महुआटीकर गांव के मजदूरों ने कहा कि वे सभी कोरोना महामारी के वजह से जारी लॉकडाउन के दौरान बीते अप्रैल माह में अन्य राज्यों से अपने गांव लौटे हैं. गांव आने पर उन्हें प्रखंड प्रशासन द्वारा 14 दिन सरकारी कोरेंटिन में रखा गया.
कोरोना के भय से वे दोबारा बाहर कमाने नहीं जा रहे हैं. वहीं स्थानीय स्तर पर इन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने बताया कि वे अपना मनरेगा का जॉब कार्ड भी बनवाये हैं. लेकिन उन्हें काम देने में मनरेगा कर्मी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. मजदूरों ने कहा कि रोजगार नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गयी है. मजदूरों ने स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की.
काम दिलाने का हो रहा प्रयास : इस संबंध में पूछे जाने पर मनरेगा के प्रभारी बीपीओ संजय लकड़ा ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा मनरेगा मजदूरों को काम उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. जहां तक सोख्ता पीट के निर्माण में खराब गुणवत्ता की बात है. उन्हें इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है.
गड़बड़ी की जांच करायी जायेगी : जेइ : सोख्ता पीट के निर्माण में गड़बड़ी के संबंध में पूछे जाने पर कनीय अभियंता उपेंद्र कुमार रवि व धर्मेंद्र यादव ने कहा कि उक्त योजना में गड़बड़ी की शिकायत हमें नहीं मिली है. अगर गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं हुई होगी, तो योजना के राशि का भुगतान नहीं किया जायेगा.
Post by : Pritish Sahay