जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ऐलान किया है कि वह तब तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे जब तक कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा. उमर अब्दुल्ला को कुछ समय पहले हिरासत से रिहा किया गया था, उन्हें आठ महीने नजरबंद रखा गया.
द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख में उमर अब्दुल्ला ने लिखा है कि वह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि राज्य को अपमानित किया गया है. उन्होंने लिखा कि मेरे लिए मैं बहुत स्पष्ट हूं कि जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, मैं कोई भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा. देश में सबसे अधिक अधिकार प्राप्त विधानसभा का सदस्य रहा हूं और वह भी छह साल तक विधानसभा के नेता के रूप में, मैं बस उस सदन का सदस्य नहीं बन सकता जिसने हमें बेघर कर दिया.
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के अब एक साल पूरे होने वाले हैं. इस पर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का विरोध किया है. उन्होंने आगे लिखा है कि आज तक मैं राज्य के लोगों को दंडित और अपमानित करने के अलावा इस कदम की आवश्यकता को समझने में विफल रहा. यदि लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का कारण क्षेत्र की बौद्ध आबादी के बीच सार्वजनिक मांग है, तो जम्मू के लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग अधिक पुरानी मांग है.
यदि धार्मिक आधार पर मांग को स्वीकार किया गया था, तो इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया गया कि लेह और कारगिल जिले मुस्लिम बहुल हैं और कारगिल के लोग जम्मू-कश्मीर से अलग होने का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने आगे लिखा कि विशेष दर्जा हटाना दशकों से भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा था इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर को “अपमानित” किया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया. पिछले सात दशकों में केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यों में अपग्रेड किया गया है, लेकिन यह पहली बार था जब किसी राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया गया था.
Posted By: Utpal kant