Rajasthan political crisis: राजस्थान के सियासी रण मे रोज एक नया मोड़ आता जा रहा है. अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने व्हिप जारी कर पार्टी टिकट पर चुनाव जीतने वाले सभी छह विधायकों को कांग्रेस की ओर से लाए गए विश्वास मत के खिलाफ वोट करने को कहा है. यानी अशोक गहलोत सरकार को मायावती का साथ नहीं मिलेगी. बता दें कि एक साल पहले ही बसपा की राज्य ईकाई का कांग्रेस में विलय हो चुका है.
बीएसपी टिकट पर जो पर छह विधायक चुने गए थे, वो हैं- आर. गुढ़ा, लखन सिंह, दीप चंद, जेएस अवाना, संदीप कुमार और वाजिब अली. व्हिप के अनुसार, अगर कोई भी विधायक पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर वोट करता है तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए और उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द की जाएगी. पार्टी प्रमुख मायावती ने यह व्हिप जारी किया है. बसपा की ओर से राज्य के अपने सभी 6 विधायकों के अलावा राज्यपाल कलराज मिश्रा और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को भी पत्र भेजा गया है कि 10वीं सूची के अनुसार किसी भी राष्ट्रीय पार्टी का विलय राज्य के स्तर पर नहीं हो सकता है क्योंकि सभी विधायकों ने पार्टी (बीएसपी) के चुनाव चिन्ह पर विधानसभा चुनाव जीता था.
बता दें, कि राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे. पिछले साल सितंबर में इन विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की थी. बसपा इस मामले को लेकर कोर्ट में जा सकती है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री गहलोत राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं. प्रस्ताव में कोरोनावायरस सहित अन्य विधेयकों पर चर्चा करने की बात कही है. इस प्रस्ताव में कहीं भी फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं है.
राजस्थान में कांग्रेस की लड़ाई कोर्ट और अब राजभवन तक जा पहुंची है. वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद जहां सुप्रीम कोर्ट सोमवार को स्पीकर सीपी जोशी की सचिन पायलट खेमे के विधायकों को भेजे गए नोटिस के मामले पर सुनवाई करेगा. वहीं एक और याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. भाजपा विधायक मदन दिलावर ने बसपा के छह विधायक के कांग्रेस में विलय के खिलाफ स्पीकर के समक्ष दायर उनकी याचिका में कार्रवाई नहीं होने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. दिलावर की याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुवाई होगी. इसमें विधानसभा स्पीकर, सचिव सहित बसपा के छह एमएलए को भी पक्षकार बनाया गया है.
Posted By: Utpal kant