विवि में सत्र 2017-18 से पांच नये महाविद्यालय खोले गये, अब तक नहीं मिली मान्यता
गोड्डा में सिदो-कान्हू कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, देवघर में रवींद्र नाथ टैगोर कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, गढ़वा में कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, गुमला में कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस और हंसडीहा (दुमका) में फूलो झानो कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस की स्थापना की गयी
रांची : बिरसा कृषि विवि अंतर्गत खोले गये पांच नये कॉलेज पिछले चार साल से चल रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक आइसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से मान्यता नहीं मिल पायी है. राज्य सरकार ने एनओसी दी है, लेकिन आइसीएआर/वीसीआइ से मान्यता लेना अनिवार्य है. मान्यता नहीं मिलने से यहां पढ़नेवाले विद्यार्थियों की डिग्री पर तकनीकी रूप से प्रश्न चिह्न लग सकता है. हालांकि, विवि प्रशासन ने छात्र हित में फिलहाल विवि अंतर्गत कैंपस में पूर्व से चल रहे संकाय के साथ इसे जोड़ कर डिग्री देने का विचार किया है. विवि में सत्र 2017-18 से पूरे ताम-झाम के साथ पांच नये महाविद्यालय खोले गये.
इनमें कृषि संकाय के अधीन गोड्डा में सिदो-कान्हू कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, देवघर जिले में रवींद्र नाथ टैगोर कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, गढ़वा जिले में कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर की स्थापना की गयी. इन महाविद्यालयों के बीएससी (प्रतिष्ठा) कृषि पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या 50-50 रखी गयी. इसी तरह पशु चिकित्सा संकाय के अधीन गुमला जिले में कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस तथा हंसडीहा (दुमका) में फूलो झानो कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस की स्थापना की गयी.
इनके बीएफएससी एवं बीटेक (दुग्ध प्रोद्यौगिकी) पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या 30-30 निर्धारित की गयी. राज्य में पहली बार डेयरी साइंस एवं फिशरीज साइंस विषयों की पढ़ाई प्रारंभ हुई. सभी पांच महावद्यिालयों के स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रमों के लिए स्वीकृत कुल 210 सीटों पर झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा-2017 के माध्यम से विवि ने नामांकन लिया.
वर्तमान में तीन वर्ष पूरे होने के बाद भी कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस, गुमला की पढ़ाई कांके स्थित पशु चिकित्सा संकाय में चल रही है. अन्य सभी महाविद्यालय अपने जिलों में कार्यरत हैं. बताया जाता है कि तत्कालीन वीसी डॉ पी कौशल के समय इन महाविद्यालयों में सत्र 2017-18 से पठन-पाठन प्रारंभ हुआ. स्थिति यह है कि वर्तमान में इन महाविद्यालयों में एसोसिएट डीन का पद प्रभार में है.
फिलहाल मुख्यालय के वैज्ञानिक, उपनिदेशक (प्रशिक्षण) और केवीके वैज्ञानिक को एसोसिएट डीन का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है. शिक्षकों व कर्मचारियों के 30 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं. इन महाविद्यालयों में छह माह के अनुबंध के आधार पर सहायक प्राध्यापकों सह कनीय वैज्ञानिक तथा अन्य कर्मचारी से शैक्षणिक कार्यों को चलाया जा रहा है. इन महाविद्यालयों के चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रमों को आइसीएआर से संबद्धता के लिए विवि की ओर से कोई पहल नहीं हुई है. नियमानुसार चार वर्ष पूरे होने से पहले संबद्धता मिल जानी चाहिए.