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मेहरबानी कर मास्क जरूर पहनें

कोरोना वायरस ने पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. इसके कारण हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं. पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में भी इसने तेजी से अपने पांव पसारे हैं. इस जानलेवा वायरस ने हमारी जिंदगी को पटरी से उतार दिया है. कोरोना ने हमारी जिंदगी के हर पहलू को प्रभावित किया है.

आशुतोष चतुर्वेदी

प्रधान संपादक

प्रभात खबर

कोरोना वायरस ने पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. इसके कारण हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं. पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में भी इसने तेजी से अपने पांव पसारे हैं. इस जानलेवा वायरस ने हमारी जिंदगी को पटरी से उतार दिया है. कोरोना ने हमारी जिंदगी के हर पहलू को प्रभावित किया है.

लोग घरों में कैद हैं. सोशल डिस्टेंसिंग ने हमारे जीवन के तौर तरीकों में भारी परिवर्तन ला दिया है. कई महीनों तक पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति रही, लेकिन परिस्थितियां अब भी काबू में नजर नहीं आ रही हैं. कुछ स्थानों पर दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा है. भारत में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या 13 लाख और इससे होनेवाली मौतों का आंकड़ा 31 हजार को पार कर गया है. एक राहत की बात जरूर है कि हमारे देश में लोग तेजी से स्वस्थ भी हो रहे हैं. अब तक कोरोना से संक्रमित साढ़े आठ लाख से अधिक लोग पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं. कई अन्य देशों की तुलना में स्वस्थ होने की दर भारत में बेहतर है.

साथ ही कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की संख्या भारत में विश्व की तुलना में काफी कम है, लेकिन यह बात सभी को स्पष्ट होनी चाहिए कि यह लड़ाई लंबी चलनी है. जरा-सी भी लापरवाही आपको, आपके परिवार और पूरे समाज को संकट में डाल सकती है. विशेषज्ञों की राय है कि हम सबको मास्क को अब जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लेना होगा. मास्क पहनने से कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने की कई गुना संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

अमेरिका और इटली में किये गये शोध में पाया गया कि जब वहां मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया, तो मरीजों की संख्या में खासी कमी आयी. इटली और न्यूयॉर्क में अप्रैल में ही मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया था. एक अध्ययन के अनुसार मास्क पहनने से कोरोना संक्रमण के खतरे को 85 फीसदी तक कम किया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बहुत पहले ही मास्क पहनना अनिवार्य कर देने की सलाह दी थी.

देखने में आया कि जैसे-जैसे ही देश में धीरे-धीरे कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में छूट दी गयी, वैसे-वैसे लोगों ने जैसे मान लिया कि कोरोना समाप्त हो गया है. बाजारों में भीड़ जमा होने लगी, लोग समारोहों में शामिल होने लगे और लापरवाह नजर आने लगे, जबकि यह समय सबसे अधिक सावधानी बरतने का है. बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल ही नहीं, यह पूरे देश की कहानी है. कुछेक लोगों ने तो मास्क को उतार कर फेंक दिया है, जबकि विशेषज्ञ बार-बार कह रहे हैं कि मास्क और हाथ धोना कोरोना संक्रमण को रोकने का सबसे बड़ा हथियार है, लेकिन लोगों ने मान लिया कि मास्क कोई महत्वपूर्ण चीज नहीं है.

जाने-माने अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनका पूरा परिवार संक्रमित हो गया था. कोरोना के कारण कई जाने-माने लोगों को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा है. संगीतकार वाजिद खान, तमिलनाडु में डीएमके के बड़े नेता और तीन बार के विधायक अनबझगन, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के विधायक तमोनाश घोष, गोवा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ सुरेश अमोनकर, बिहार में एमएलसी सुनील कुमार सिंह की कोरोना के कारण मौत हो गयी.

अलबत्ता, इस लड़ाई में हमारे स्वास्थ्यकर्मी सबसे आगे हैं और उनकी जितनी भी तारीफ की जाए, कम है, लेकिन इस वायरस ने अनेक स्वास्थ्यकर्मियों को शिकार बनाया है. समस्तीपुर के सिविल सर्जन डॉ आरआर झा की कोरोना के कारण मौत हो गयी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक 16 जुलाई तक देशभर में 99 डॉक्टरों की मौत कोरोना की वजह से हो चुकी है और एक हजार से ज्यादा संक्रमित हुए हैं.

स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि देश में अब कोरोना संक्रमण के लगभग 50 हजार के आसपास मामले रोजाना सामने आने लगे हैं. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और दिल्ली इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कोरोना संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित है. यहां कोरोना के साढ़े तीन लाख से अधिक मामले हो गये हैं. महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के आंकड़ों को मिला दें, तो इन दो राज्यों से ही अब यूरोप से ज्यादा मामले सामने आने लगे हैं. महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में रोजाना कुल 16-17 हजार केस आ रहे हैं, इतने यूरोप से आ रहे हैं.

कोरोना के मामले में तमिलनाडु देश में दूसरे स्थान पर है. वहां कोरोना संक्रमितों की संख्या दो लाख को पार कर गयी है. दिल्ली में भी संक्रमितों की संख्या बढ़ कर लगभग एक लाख 30 हजार के आसपास हो गयी है. हालांकि, देश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच मृत्यु दर और रिकवरी रेट के आंकड़ों ने राहत दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने हाल में जानकारी दी कि भारत दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाले देशों में से एक है. शंघाई सहयोग संगठन देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की डिजिटल बैठक में डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर 63.45 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 2.3 प्रतिशत है.

आइसीयू में दो फीसदी से भी कम एवं ऑक्सीजन पर तीन फीसदी से भी कम मरीज हैं. वहीं महज 0.32 फीसदी वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. देश में कोरोना की जांच में भी तेजी आयी है. एक समय देश में केवल एक लैब थी. अब 1234 लैब हो गयी हैं. अब तक तीन लाख सैंपल की जांच की जा रही थी, जिसे सरकार बढ़ा कर प्रतिदिन 10 लाख सैंपल करने का प्रयास कर रही है, लेकिन यह बात हम सभी को स्पष्ट होनी चाहिए कि इस वायरस का फिलहाल कोई इलाज नहीं है और हमें पूरी सावधानी बरती होगी. इस मामले में कोई भी लापरवाही भारी पड़ सकती है.

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