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Sawan 2020 : सावन महीने के 21वें दिन बाबा बैद्यनाथ की षोडशोपचार विधि से हुई पूजा

Sawan 2020 : श्रावण मास के 21वें दिन शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि रविवार सुबह 4:30 बजे बाबा मंदिर का पट खुला. पुजारी गुड्डू शृंगारी एवं मंदिर दारोगा संजय महाराज बाबा की सरकारी पूजा करने के लिए मंदिर गर्भ गृह प्रवेश किये. पुजारी गुड्डू शृंगारी और संजय महाराज ने प्रवेश करते ही सर्वप्रथम शनिवार को बाबा के शृंगार पूजा की सामग्रियों को शिवलिंग से हटाया. उन्हें मखमल के कपड़े से साफ किया. इसके बाद कांचा पूजा शुरू की गयी.

Sawan 2020 : देवघर (दिनकर ज्योति) : श्रावण मास के 21वें दिन शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि रविवार सुबह 4:30 बजे बाबा मंदिर का पट खुला. पुजारी गुड्डू शृंगारी एवं मंदिर दारोगा संजय महाराज बाबा की सरकारी पूजा करने के लिए मंदिर गर्भ गृह प्रवेश किये. पुजारी गुड्डू शृंगारी और संजय महाराज ने प्रवेश करते ही सर्वप्रथम शनिवार को बाबा के शृंगार पूजा की सामग्रियों को शिवलिंग से हटाया. उन्हें मखमल के कपड़े से साफ किया. इसके बाद कांचा पूजा शुरू की गयी.

सबसे पहले मंदिर पुजारी की ओर से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ एक लोटा कांचा जल बाबा पर चढ़ाया गया. मंदिर प्रशासनिक भवन से सभी तीर्थ पुरोहितों को मंदिर गर्भगृह में प्रवेश कराया गया. सभी ने बाबा पर कांचा जल चढ़ाया. इस के बाद बाबा की सरकारी पूजा शुरू हुई. पुजारी गुड्डू शृंगारी ने वैदिक मंत्रोचार के बीच फूल, इत्र, चंदन, मधु, घी, दूध, शक्कर, धोती, जनेऊ आदि बाबा पर चढ़ाया.

इसके बाद भक्तों के पूजा अर्चना के लिए बाबा मंदिर का पट खोल दिया. इसमें तीर्थ पुरोहितों ने बाबा की पूजा अर्चना की. इस दौरान मंदिर इस्टेट की ओर से महिला तीर्थ पुरोहित गुदड़ी देवी ने मंदिर परिसर स्थित मां काली, मां पार्वती मां अन्नपूर्णा आदि सभी देवी शक्ति मंदिरों की देवियों को जल से स्नान करा कर सिंदूर लगायी. फिर सुबह 6:30 बजे मंदिर का पट बंद किया गया.

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पिछले साल श्रावणी मेले के 21वें दिन बाबा नगरी में भक्तों की लंबी कतार लगी हुई थी. एक दिन पूर्व नागपंचमी होने से पूजा से वंचित भक्त भी कतार में लगे हुए थे. बाबा नगरी के चारों ओर कांवरिया थे. बोल बम की जयकारा से मंदिर सहित आसपास का क्षेत्र गुंजायमान था. कांवरियों की भीड़ अनियंत्रित हो रही थी. स्थानीय स्वयंसेवकों की मदद से पुलिस बल भीड़ को नियंत्रित कर रही थी.

दुम्मा से लेकर बाबा मंदिर तक शिवभक्तों को लाउडस्पीकर से दिशा- निर्देश दिये जा रहे थे. ओम नमः शिवाय की शिव धुन से पूरा शहर पवित्र हो रहा था. पूरी बाबा नगरी में आस्था में भक्त डूबे हुए थे. हर तरह के भेदभाव खत्म हो गये थे. बाबा के गुणगान में सभी भक्त डूबे हुए थे.

श्रावणी मेले के 21वें दिन विलियम्स टाउन बीएड कॉलेज परिसर से ही भक्तों को नियंत्रित किया जा रहा था. नंदन पहाड़ की ओर से आ रहे भक्तों को बीएड कॉलेज परिसर के पंडालों में रोका जा रहा था. पंडालों से सीमित संख्या में भक्तों को मंदिर के लिए प्रस्थान कराया जा रहा था. बीएड कॉलेज परिसर से भक्तों को नियंत्रित करते हुए रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ मुख्य रोड, तिवारी चौक, जलसार चिल्ड्रन पार्क, मत्स्य विभाग, पंडित शिवराम चौक होते हुए मानसरोवर फुटओवर ब्रिज से मंदिर भेजा जा रहा था. इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहती थी.

कांवरियों की कतार में जगह- जगह एलईडी टीवी में बाबा मंदिर की स्थिति दिखायी जा रही थी. लेकिन, इस साल कोरोना ने सब कुछ बदल दिया है. दूर-दूर तक भक्त दिखायी नहीं दे रहे हैं. पूरे कांवरिया पथ में सन्नाटा पसरा हुआ है. सड़कों पर शिवभक्त कांवरियों की जगह जानवर सड़क पर पड़े हुए हैं.

भक्तों को रोकने के लिए पुलिस चेक पोस्ट बने हुए हैं. इन जगहों में 24 घंटे पुलिस ड्यूटी लगी हुई है. इधर से गुजरने वाले हर राहगीर पर नजर रखी जा रही है. शिव भक्तों को दुम्मा गेट पर ही कड़ाई से रोका जा रहा है. उन्हें झारखंड भी प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है. वाहन चालकों को प्रवेश करते ही रोककर परमिट दिखाने को कहा जा रहा है. परमिट देखने के बाद ही आगे बढ़ने दिया जा रहा है.

Posted By : Samir ranjan.

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