राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक वक्त कोरोना के मरीजों के लिए बेड नहीं मिल रहे थे, उन्हें बेड के लिए इधर उधर भटकना पड़ता था, बेड नहीं मिलने के कारण कई मरीजों की जान चली गयी लेकिन आज कोविड- 19 के ज्यादातर अस्पतालों में कोविड- 19 के बेड खाली पड़े हैं. अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में भारी कमी आई है.
अधिकतर लोग जो ज्यादा गंभीर नहीं है उनका इलाज घर पर ही किया जा रहा है. 23 जून से 26 जुलाई तक के बेड ऑक्यूपैंसी में तेजी से गिरावट हुई है. ये हमारा नहीं बल्कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का कहना है. दरअसल उन्होंने ट्वीट करके एक ग्राफिक्स शेयर किया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि 23 जून से 26 जुलाई तक के बेड ऑक्यूपैंसी में तेजी से गिरावट हुई है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि 23 जून के मुकाबले 26 जुलाई तक बेड ऑक्यूपैंसी में तेजी से गिरावट आई है. उन्होंने कहा है कि अब काफी कम संख्या में लोग बीमार पड़ रहे हैं. अधिकतर लोग जो बीमार पड़ रहे हैं, उनका घर पर ही उपचार किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि अभी बस कुछ ही लोगों के लिए बेड की जरूरत पड़ रही है, उन्होंने जो ग्राफिक्स शेयर किया है उसके मुताबिक कोरोना के लिए आरक्षित 15301 बेड में से महज 2841 बेड पर ही मरीज हैं. यानी कि 12460 बेड खाली हैं. मुख्यमंत्री के इस ट्वीट में कितने वेंटिलेटर्स खाली हैं इसका भी जिक्र है, ग्राफिक्स के मुताबिक अभी 1188 में से 778 वेंटिलेटर्स खाली हैं.
दिल्ली में 23 जून की उपलब्ध बेडों की संख्या देखें तो उस वक्त कुल 13389 बेड में से 6263 बेड पर मरीज थे. तब 7126 बेड खाली थे. जबकि 708 वेंटिलेटर्स पर 242 बेड खाली थे. गौरतलब है कि दिल्ली में संक्रमित मरीजों की संख्या 1 लाख 29 हजार 500 के पार चली गयी है. जबकि दिल्ली में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या 38 हजार के पर हो चली थी. हालांकि राहत की बात ये है कि दिल्ली में रिकवर हुए लोगों की संख्या 1 लाख 13 हजार से अधिक है.
posted by : sameer oraon