जमशेदपुर : शहर की एक बेटी ने कोरोना संकट की घड़ी में सामाजिक रिश्ते को निभाते हुए अनूठी पहल की है. एक तरफ कोरोना संक्रमित मां-पिता का अंतिम संस्कार करने से उसके बेटे सहित अन्य परिजन इनकार कर रहे हैं, तो दूसरी ओर समाज की लीक से हटकर कोरोना से पिता का निधन होने पर बेटी ने पिता की अर्थी को उठाया और मुखाग्नि भरी दी.
यह अंतिम संस्कार भुइयांडीह स्थित सुवर्णरेखा बर्निंग घाट पर शनिवार की शाम को किया गया. सीतारामडेरा के 70 वर्षीय पुरुष को सांस लेने में दिक्कत होने पर 11 जुलाई को टीएमएच में भर्ती कराया गया था. पहली बार 12 जुलाई को जांच में रिपोर्ट निगेटिव आया, लेकिन 17 जुलाई को जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी. इलाज के दौरान 24 जुलाई को सुबह छह बजे उनका निधन हो गया. वे अपनी पत्नी और एक बेटी के साथ सीतारामडेरा में रहते थे. उनकी दूसरी बेटी कोलकाता में रहती है, जो कि पिता के निधन की सूचना मिलने पर शनिवार को शहर पहुंची.
इसके बाद शव का अंतिम दाह संस्कार किया गया. इसके अलावा साकची के व्यवहार न्यायालय के 45 वर्षीय स्टेनोग्राफर और मानगो के 55 वर्षीय पुरुष का दाह संस्कार भी किया गया. एमजीएम अस्पताल में शनिवार की शाम उनकी इलाज के दौरान मौत हो गयी थी, जबकि कोर्ट के स्टेनोग्राफर का शुक्रवार को टाटा मुख्य अस्पताल मौत हो गया था. वे जिला विधिक प्राधिकार कार्यालय में स्टेनोग्राफर थे. गुरुवार रात वे अपने आवास में गिर गये थे. इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. कोरोना जांच के लिए शव को रखा गया था. जांच के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी.