Gold price news : कोरोना वायरस महामारी और पड़ोसी देशों के साथ भू-राजनीतिक तनाव के बीच निवेशकों ने सोना में जमकर सुरक्षित निवेश किया है, जिसकी वजह से एमसीएक्स में इसकी कीमत रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गयी है. सोना की कीमतों में तेजी जारी रहने का ही नतीजा है ककि पिछले दिनों एमसीएक्स में इसकी कीमतों में 51,150 रुपये प्रति 10 ग्राम का सबसे तेज नया रिकॉर्ड दर्ज किया गया. एक्सपर्ट के हवाले से अंग्रेजी की वेबसाइट फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने खबर दी है कि अगले छह महीनों में सोना की कीमतें 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच सकती हैं. इसके साथ ही, कोविड-19 वैक्सीन के टेस्ट का भी इस पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इतना ही नहीं, इस साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने वाला भारतीय मुद्रा रुपया भी एफडीआई प्रवाह पढ़ने से काफी सुधरा है. हालांकि, शेयर बाजारों में एफआईआई प्रवाह भी बढ़ रहा है.
सोना की कीमतों में इन वजहों से आयी तेजी
इसके साथ ही, वृहद आर्थिक परिस्थितियों ने भी सोने की कीमतों में वृद्धि को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं, जिससे इसकी कीमत मनोवैज्ञानिक 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गया है. देश-दुनिया में कोविड-19 के मामलों में तेजी, वैश्विक विकास में तेजी, भू-राजनीतिक तनाव और कोविड-19 के संक्रमण की वजह से दुनिया भर में बड़े पैमान पर मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहनों की घोषणाओं के बावजूद वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता के मौजूदा परिदृश्य ने सोना और चांदी की कीमतों में नाटकीय तेजी आयी है.
ये कर सकते हैं सोना की कीमतों को कम
एटीएफ में भारी प्रवाह से यह साफ है कि बाजार में ऊंचे जोखिमों के बीच निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो में सोना-चांदी को चुना है. सरकार के विस्तारवादी नीतियों और प्रमुख केंद्रीय बैंकों के लिए मुद्रास्फीतिक जोखिमों की वजह से वैश्विक ऋण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में, सोना सबसे पसंदीदा और सुरक्षित असेट्स बना हुआ है. फिलहाल, वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कुल वैश्विक ऋण की कुल राशि रिकॉर्ड 258 ट्रिलियन डॉलर हो गयी है, जो दुनिया की जीडीपी से तीन गुना अधिक है. इसके साथ ही, निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती, यील्ड की उम्मीदें और मुद्रा का अवमूल्यन सोने की कीमतों को कम कर देगा.
कीमतों में थोड़े समय के लिए रह सकती है स्थिरता
इसके अलावा, कोविड-19 संकट दूर होने के बाद वैश्विक आर्थिक सुधार में लंबा समय लगने वाले तथ्यों के बावजूद मौजूदा ट्रेंड सोना-चांदी की कीमतों को स्थिर रख सकता है. हालांकि, निकट भविष्य में वैक्सीन टेस्ट के आसपास सारी उम्मीदें टिकी हैं और इसे लेकर वैश्विक स्तर पर काफी उत्साह भी देखा जा रहा है. ऐसे में, कीमतों में कुछ कमी आने की काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं. यह बात दीगर है कि कीमतों में आने वाली कमी लॉन्ग टर्म में निवेश के लिए सुनहरा अवसर प्रदान करेगी. कीमतों में थोड़े समय के लिए स्थिरता आ सकती है और हाल ही में इसके शानदार प्रदर्शन के बाद एक बार फिर खरीदारी करने के लिए आकर्षित करता है. कुल मिलाकर यह कि दोनों कीमती धातुओं का ऊपरी रास्ता थोड़ा टेढ़ा होता दिखाई दे रहा है और वहीं औद्योगिक मांग और आर्थिक सुधार में तेजी आने से चांदी में स्पष्ट लाभ दिखाई देता है.
चांदी की कीमतें भी तोड़ सकती हैं रिकॉर्ड
अब अगर आप आगामी छह महीने के लिए नजरिए से इसका मूल्यांकन करेंगे, तो तब हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोना की कीमत को करीब 2000 डॉलर प्रति औंस या घरेलू बाजारों में 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद कर सकते हैं. वहीं, चांदी जो वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही तक पिछड़ी हुई थी, सालों बाद अपनी नयी ऊंचाई पर पहुंच गयी है और यह करीब 68,000-70,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंचे को तैयार है. सोने की आपूर्ति में गिरावट के साथ-साथ चांदी की मांग में आने वाली तेजी के मद्देनजर साल के अंत में घरेलू बाजारों में सफेद धातु अपने रिकॉर्ड ऊंचाई को छू सकती है.
प्रोत्साहन पैकेजों से आयी सोने में तेजी
हाल में सोने और चांदी की कीमतों में तेजी आयी है, क्योंकि यूरोपीय यूनियन ने 2 ट्रिलियन यूरो के रिकवरी फंड को अंतिम रूप दिया है, जबकि उम्मीद यह भी है कि आर्थिक पुनरुद्धार के लिए अमेरिका लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का एक ताजा प्रोत्साहन पैकेज दे सकता है. हालांकि, विभिन्न संकेतक प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सुधार दिखा रहे हैं. फिर भी अनिश्चितता बढ़ रही है, क्योंकि कोविड-19 की वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में लॉकडाउन लगाने के लिए मजबूर कर है और कुछ अर्थव्यवस्थाएं संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन को फिर से लागू कर सकती हैं.
बाजारू अनिश्चितता को बढ़ा सकता है भू-राजनीतिक विवाद
भू-राजनीतिक मोर्चे पर चीन और अमेरिका के बीच तनाव जारी है, चाहे वह प्रौद्योगिकी विवाद हो या हांगकांग सुरक्षा कानून को लेकर संघर्ष. एक और प्रमुख कारक अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होगा, जो अनिश्चितता को आगे जारी रख सकता है. एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड की होल्डिंग में निवेशकों का सोने पर भरोसा बढ़ा है, जो अप्रैल 2013 के बाद से सबसे ज्यादा है. सोने के अलावा, चांदी की निवेश मांग में साल 2020 की पहली छमाही में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. चांदी समर्थित एक्सचेंज-ट्रेडेड उत्पादों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जहां इस महीने रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंचने के लिए तैयार है.
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Posted By : Vishwat Sen
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