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Sawan 2020 : देवोत्थान एकादशी के दिन मंदिर इस्टेट की ओर से भगवान नारायण की होती है विशेष पूजा

Sawan 2020 : बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण की सभी 22 मंदिरों की विशेष महत्व है. इनमें लक्ष्मी नारायण मंदिर का सर्वाधिक महत्व है. इस मंदिर में भक्त विष्णु के नारायण रूप की पूजा अर्चना करते हैं. इस मंदिर में नारायण के साथ मां लक्ष्मी विराजमान हैं. दोनों एकसाथ एक जगह विराजमान होने से इस मंदिर की महत्ता बढ़ जाती है. इस मंदिर में भक्तों को भीड़ अक्सर लगी रहती है. कई बार नारायण की पूजा अर्चना करने के लिए एक घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है.

Sawan 2020 : देवघर : बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण की सभी 22 मंदिरों की विशेष महत्व है. इनमें लक्ष्मी नारायण मंदिर का सर्वाधिक महत्व है. इस मंदिर में भक्त विष्णु के नारायण रूप की पूजा अर्चना करते हैं. इस मंदिर में नारायण के साथ मां लक्ष्मी विराजमान हैं. दोनों एकसाथ एक जगह विराजमान होने से इस मंदिर की महत्ता बढ़ जाती है. इस मंदिर में भक्तों को भीड़ अक्सर लगी रहती है. कई बार नारायण की पूजा अर्चना करने के लिए एक घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है.

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने की है. इनके निर्माण के समय सुबह हो जाने से मंदिर अधूरा रह गया है. यह पूरा नहीं हो सका. यही कारण है कि इस मंदिर की आकृति अन्य मंदिरों से अलग है. वहीं, जानकारों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री बामदेव ओझा ने 1630 से 1640 के बीच की है.

यह मंदिर बाबा मंदिर के सामने पूरब एवं उत्तर कोने की तरफ स्थित है. लक्ष्मी नारायण मंदिर की लंबाई लगभग 60 फीट और चौड़ाई लगभग 40 फीट है. यह बड़ा मंदिर है, जो चतुर्भुज आकार में है. लक्ष्मी नारायण मंदिर के शिखर पर चारों ओर कुल 9 तांबे का कलश स्थापित है. इसके ऊपर सुदर्शन चक्र एवं पंचशूल लगा है.

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इस मंदिर के बाहरी 3 तरफ बड़ा बरामदा है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से सर्वप्रथम 4 सीढ़ियों को पार करके भक्त लक्ष्मी नारायण के प्रांगण में पहुंचते हैं. जहां दाई ओर बजरंग बली की मूर्ति स्थापित है. इसके बाद सामने सुंदर नक्काशी किया हुआ लकड़ी का दरवाजा है.

गर्भ गृह में प्रवेश करते ही सामने बायीं ओर नारायण की मूर्ति बीच में मां लक्ष्मी की मूर्ति और साथ में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति विराजमान हैं. भगवान नारायण की 4 फीट की खड़ी मुद्रा में काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है. इसके साथ मां लक्ष्मी की 3 फीट की खड़ी मुद्रा में काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है. इसके अलावा शिल्पकार विश्वकर्मा की 2 फीट की आसन मुद्रा में काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है.

इस मंदिर के गर्भ गृह में लक्ष्मी नारायण 3 तरफ से पीतल के ग्रिल से घिरा है. इस मंदिर में ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर से पूजा की जाती हैं. यहां पर लक्ष्मी नारायण की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. भक्त सालों भर भगवान की पूजा कर सकते हैं. लेकिन, गुरुवार की पूजा एवं नारायण की कथा का अलग ही महत्व है.

देवोत्थान एकादशी के दिन मंदिर इस्टेट की ओर से विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा ठाकुर परिवार के द्वारा हर दिन भगवान की विशेष पूजा एवं शृंगार किया जाता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ठाकुर परिवार की ओर से वार्षिक पूजा षोडशोपचार विधि से किया जाता है.

भगवान नारायण को तरह- तरह की मिठाइयां, फल-मूल, माखन, हलवा, पंचमेवा, दूध, दही सहित 56 प्रकार के भोग अर्पित किये जाते हैं. इसके अलावा बसंत पंचमी में बाबा के विवाह से पहले तिलक उत्सव इसी मंदिर परिसर में होता है. इस मंदिर में प्रवेश करते सबसे ज्यादा तीर्थ पुरोहित लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं.

Posted By : Samir ranjan.

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