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बाढ़ से अलगे परेशान छी, ऊपर से रहि-रहि के मूसलाधार पाइन बरसि क मुश्किल बढ़ा देले छै

दरभंगा : बाढ़ से अलगे परेशान छी, ऊपर से रहि-रहि के मूसलाधार पाइन बरसि क मुश्किल बढ़ा देले छै बाबू. मुखिया, सरपंच, अफसर कौनौ पूछे नई आयल, हमरा सबक केयो देखेवाला नहीं छै. एकटा भगवान के असरा हइ, उनके से कष्ट हरबाक लेल हाथ जोईर विनती करै छियै. उक्त बातें दरभंगा-जयनगर मुख्य सड़क मार्ग एनएच-527 बी पर सड़क किनारे बाढ़ विस्थापित केवटी प्रखंड की ननौरा पंचायत के महादलित टोला निवासी उर्मिला देवी की है.

दरभंगा : बाढ़ से अलगे परेशान छी, ऊपर से रहि-रहि के मूसलाधार पाइन बरसि क मुश्किल बढ़ा देले छै बाबू. मुखिया, सरपंच, अफसर कौनौ पूछे नई आयल, हमरा सबक केयो देखेवाला नहीं छै. एकटा  भगवान के असरा हइ, उनके से कष्ट हरबाक लेल हाथ जोईर विनती करै छियै. उक्त बातें दरभंगा-जयनगर मुख्य सड़क मार्ग एनएच-527 बी पर सड़क किनारे बाढ़ विस्थापित केवटी प्रखंड की ननौरा पंचायत के महादलित टोला निवासी उर्मिला देवी की है.

उर्मिला देवी की पीड़ा तो एक बानगी है. खुले आसमान के नीचे सड़क या रेल लाइन के किनारे पन्नी टांग कर रहनेवाले दर्जनों बाढ़ पीड़ितों का कमोबेश यही हाल है. बाढ़ विस्थापित कैलसिया देवी, शिवजी मांझी, तपेश्वर मांझी, शीला देवी, कृपाल यादव सहित दो दर्जन से अधिक लोग इस सड़क के किनारे रविवार से शरण लिये हैं.

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बाढ़ से अलगे परेशान छी, ऊपर से रहि-रहि के मूसलाधार पाइन बरसि क मुश्किल बढ़ा देले छै 2

पूछते ही बिदकते हुए कहते हैं ननौरा पंचायत का महादलित टोला रसलपुर बाढ़ के पानी से धिरने से टापू बन कर रह गया है. दो दर्जन परिवार किसी तरह सड़क किनारे आने में सफल रहे. वहीं, करीब‌ सैकड़ों लोग अभी भी टोला पर ही है. रसलपुर टोला में करीब एक सौ परिवार रहते है. इसमें करीब पचास घरों में पानी प्रवेश कर गया है. जो नहीं आये हैं, वे लोग किसी तरह अपना जीवन गुजार रहे हैं. टोला‌ पर शौचालय, पेयजल, भोजन आदि की समस्या गंभीर है.

पीड़ितों ने बताया कि यह समस्या कोई नया नहीं है. हर बार बाढ़ आने पर महादलित टोला रसलपुर पानी से घिर जाता है. पिछले वर्ष भी काफी विलंब से प्रशासन जागा. उसके बाद नाव से खाना सहित दैनिक उपयोग की वस्तुओं को टोला तक मुहैया कराया था. इस टोला तक जाने के लिए सड़क नहीं है. किसी तरह ग्रामीण खेत के धूर पर चल कर आवागमन करते हैं.

आजादी के बाद कितनी सरकारें आयी और गयीं. जनप्रतिनिधि बदले, मगर यहां के लोगों की समस्या हल नहीं हुई. सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल मांझी ने बताया कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क संपर्क योजना से सड़क निर्माण के लिए सर्वे होने के बाद तीन-तीन बार नापी हुई. नापी होने के बाद भी आज तक सड़क नहीं बनी. (कमतौल से शिवेंद्र कुमार शर्मा की रिपोर्ट)

Posted By : Kaushal Kishor

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