नयी दिल्ली : कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा विश्व इस समय लड़ रहा है. दिन रात वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं. इस बीच एक खबर ने सबकी होश उड़ा दी है. दावा किया जा रहा है कि रूस के कुछ अरबपतियों ने अप्रैल में ही कोरोना वायरस का टीका लगवा लिया था. कुछ दिनों पहले रूस ने दावा किया था कि उसने कोरोना वायरस का वैक्सीन बना लिया है और इंसानों पर ट्रायल भी पूरा कर लिया है.
रूसी अरबपतियों के कोरोना वैक्सीन लगवाने की खबर में कितनी सचाई है ये तो पता नहीं, लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार रूस के अरबपतियों और कुद नेताओं को कोरोना वायरस की प्रायोगिक वैक्सीन को अप्रैल में ही दे दिया गया था. रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि जिन अमीरों को यह वैक्सीन दी गई, उनमें एल्युमीनियम कंपनी यूनाइटेड रसेल के टॉप अधिकारी, अरबपति और सरकारी अधिकारी शामिल हैं. दावा किया जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन को रूस की सरकारी कंपनी गमलेया इंस्टीट्यूट ने अप्रैल में तैयार किया था.
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रूस की खुफिया एजेंसियों द्वारा कोरोना वायरस के टीके से संबंधित जानकारी चुराने का आरोप लग चुका है. अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा की खुफिया एजेंसियों ने आरोप लगाया था कि रूसी खुफिया विभाग के ‘कोजी बियर’ नामक हैकरों का समूह एक विशेष सॉफ्टवेयर की सहायता से कोविड-19 की वैक्सीन बना रहे अकादमिक और फार्मा संस्थानों के अनुसंधान की जानकारी चुरा रहा है. हालांकि रूस ने इस दावे को खारिज कर दिया है.
ब्रिटेन में रूस के राजदूत ने सभी आरोपों का खंडन कर दिया है. आंद्रेई केलिन ने रविवार को बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा द्वारा लगाए जा रहे आरोप निरर्थक है. उन्होंने कहा, मैं इस कहानी में विश्वास नहीं करता, यह निरर्थक है. उन्होंने कहा, मुझे उन (हैकरों) के बारे में ब्रिटिश मीडिया से पता चला. इस दुनिया में किसी भी प्रकार के कंप्यूटर हैकर को किसी देश से संबद्ध बता देना असंभव है.
Posted By – Arbind Kumar Mishra