रांची : नागपुरी साहित्य-संस्कृति मंच के साहित्यकारों, कलाकारों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. मंच का कहना है कि आदिवासी-मूलवासी झारखंडियों को 25 लाख रुपये तक का ठेका मिलने से उनका विकास होगा. मंच ने मांग की है कि ठेका उन्हीं को मिले, जो झारखंडी होने का आधार 1932 के खतियान के आधार पर दावा कर सकें.
इससे नागपुरी भाषा समेत अन्य सभी झारखंडी भाषा व संस्कृति की रक्षा और विकास की संभावनाओं बढ़ेगी. रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मंच के अध्यक्ष सह नागपुरी गायक महावीर नायक ने युवाओं को अपनी कार्यक्षमता और आत्मबल बढ़ाने की बात कही. वहीं, मंच की सचिव सह नागपुरी साहित्यकार शकुंतला मिश्र ने कहा कि इससे आदिवासी समाज को पहचान मिलेगी. युवा बेहतर काम के साथ खुद को स्थापित कर सकेंगे.
उन्होंने जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई प्राथमिक स्तर से शुरू करने पर बल दिया. बताया कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थापना के 40 वर्ष बीत जाने के बाद भी एक भी स्थायी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है. वहीं, 35 वर्षों से शिक्षक के रूप में लगे हुए हैं और उन्हें वेतन से लेकर एरियर के भुगतान तक में परेशानियाें का सामना करना पड़ रहा है.
मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और साहित्यकार डॉ गिरिधारी राम गंझू ने जेपीएससी समेत अन्य प्रतियोगिता परीक्षा में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं की परीक्षा को अनिवार्य करने की बात कही. वीडियो कांफ्रेंसिंग में पद्मश्री मधु मंसुरी, डॉ संजय षाड़ंगी, डॉ सुखदेव साहु, डॉ संजय षाड़ंगी, डॉ प्रभात रंजन तिवारी, महावीर साहू, अजय पांडेय समेत अन्य शामिल थे.
Post by : Pritish Sahay