14.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कड़कनाथ मुर्गे में प्रोटीन, विटामिन-सी समेत इन पोषक तत्वों का है पैकेज, कोरोना काल में बढ़ी मांग

Kadaknath chicken, Kadaknath murga, benefits, price, khane ke fayde, kaha milta hai : एक तरफ जब लोग कोरोना काल में आम देसी मुर्गा तक खाना छोड़ रहे है. तो दूसरी तरफ, कड़कनाथ मुर्गा की मांग में लगातार इजाफा होता दिख रहा है. कोविड-19 के जारी प्रकोप के बीच मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की पारंपरिक मुर्गा प्रजाति कड़कनाथ की मांग इसके पोषक तत्वों के कारण देश भर में बढ़ रही है.

Kadaknath murga, benefits, price, khane ke fayde, kaha milta hai : एक तरफ जब लोग कोरोना काल में आम देसी मुर्गा तक खाना छोड़ रहे है. तो दूसरी तरफ, कड़कनाथ मुर्गा की मांग में लगातार इजाफा होता दिख रहा है. कोविड-19 के जारी प्रकोप के बीच मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले की पारंपरिक मुर्गा प्रजाति कड़कनाथ की मांग इसके पोषक तत्वों के कारण देश भर में बढ़ रही है.

लेकिन महामारी के कहर की वजह से नियमित यात्री ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक लगने से इसके जिंदा पक्षियों के अंतरप्रांतीय कारोबार पर बुरा असर पड़ा है. झाबुआ का कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) अपनी हैचरी के जरिये कड़कनाथ की मूल नस्ल के संरक्षण और इसे बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है. केवीके के प्रमुख डॉ. आईएस तोमर ने रविवार को कहा है कि कोविड-19 के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान परिवहन के अधिकांश साधन बंद होने के चलते कड़कनाथ के चूजों की आपूर्ति पर स्वाभाविक रूप से असर पड़ा था.

लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद इनकी मांग बढ़ गयी है. उन्होंने बताया, “देश भर के मुर्गा पालक अपने निजी वाहनों से कड़कनाथ के चूजे लेने हमारी हैचरी पहुंच रहे हैं. पिछले महीने हमने करीब 5,000 चूजे बेचे थे और हमारी हैचरी की मासिक उत्पादन क्षमता इतनी ही है.” तोमर ने बताया, “हमारी हैचरी में कड़कनाथ के चूजों का पुराना स्टॉक खत्म हो गया है. इन दिनों चूजों की मांग इतनी ज्यादा है कि अगर आप आज कोई नया ऑर्डर बुक करेंगे, तो हम दो महीने के बाद ही इसकी आपूर्ति कर सकेंगे.” उन्होंने बताया कि केवीके ने कोविड-19 की पृष्ठभूमि में कड़कनाथ चिकन को लेकर हालांकि अलग से कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया है. लेकिन यह पहले से स्थापित तथ्य है कि दूसरी प्रजातियों के चिकन के मुकाबले कड़कनाथ के काले रंग के मांस में चर्बी और कोलेस्ट्रॉल काफी कम होता है, जबकि इसमें प्रोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा होती है.

कड़कनाथ चिकन में अलग स्वाद के साथ औषधीय गुण भी होते हैं. इस बीच, झाबुआ जिले में कड़कनाथ के उत्पादन से जुड़ी एक सहकारी संस्था के प्रमुख विनोद मैड़ा ने बताया कि कोरोना काल में इस पारंपरिक प्रजाति के मुर्गे की मांग में इजाफा हुआ है. हालांकि, पिछले चार महीने से नियमित यात्री ट्रेनें नहीं चलने के कारण झाबुआ से कड़कनाथ मुर्गे के अंतरप्रांतीय ऑर्डरों की आपूर्ति में रुकावटें पेश आ रही हैं. मैड़ा ने बताया, “कोविड-19 के प्रकोप से पहले हम रेलवे को तय भाड़ा चुकाकर मध्य प्रदेश के रतलाम और पड़ोस के गुजरात के बड़ौदा से यात्री ट्रेनों के लगेज डिब्बों के जरिये देश भर में कड़कनाथ के जिंदा चूजों और मुर्गों की आपूर्ति कर रहे थे.

इन्हें छेद वाली हवादार पैकिंग में बंद किया जाता है ताकि रेल यात्रा पूरी होने तक वे जिंदा बने रहें.” झाबुआ मूल के कड़कनाथ मुर्गे को स्थानीय जुबान में “कालामासी” कहा जाता है. इसकी त्वचा और पंखों से लेकर मांस तक का रंग काला होता है. देश की जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स रजिस्ट्री “मांस उत्पाद तथा पोल्ट्री एवं पोल्ट्री मीट” की श्रेणी में कड़कनाथ चिकन के नाम भौगोलिक पहचान (जीआई) का चिन्ह भी पंजीकृत कर चुकी है. कड़कनाथ प्रजाति के जीवित पक्षी, इसके अंडे और इसका मांस दूसरी कुक्कुट प्रजातियों के मुकाबले महंगी दरों पर बिकता है.

इसमें पाए जानें वाले पोषक तत्व

इस मुर्गे में विटामिन बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी, ई, नियासिन, कैल्शियम, फास्फोरस और हीमोग्लोबिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें

– इसका खून, हड्डियां और सम्पूर्ण शरीर काला होता है.

– यह दुनिया में केवल मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर में पाया जाता है.

Posted By : Sumit Kumar Verma

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें