गढ़वा : एक तरफ जहां शहर के लोगों को कोरोना वायरस को लेकर आये दिन कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं शहर के घनी इलाकों में जहां 90 फीसदी रिहाइशी इलाका है, वहां आटा चक्की व बक्सा ड्रम बनाने का कारखाना धड़ल्ले से चल रहा है. इससे वहां के लोगों को ध्वनि प्रदूषण की समस्या से जूझना पड़ रहा है. इस संबंध में लियो क्लब की अध्यक्ष शिप्रा रानी, गौरव व अदिति रानी ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
रिहाइशी इलाके में कोई भी उद्योग होना ही नहीं चाहिए. लेकिन शहर के कई इलाके में जहां घनी आबादी व रिहाइशी क्षेत्र है, जहां बक्सा बनाने का काम और अाटा चक्की लगाकर लोग प्रदूषण फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदूषण से होने वाली असामयिक मौत और जानलेवा बीमारियां बहुत ज्यादा हो रही हैं.
वर्तमान की छवि को देखा जाये, तो शहर में ध्वनि प्रदूषण हम सबों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है. कोरोना से बचने के लिए लोग आज घरों में कैद हैं और उनके आसपास हो रहे इस तरह के वृहद संचालन के कारण उन्हें यह समस्या इस समय और ज्यादा जटिल दिखाई दे रही है. बीमारी के भय से वह कहीं जा भी नहीं सकते हैं और उन्हें अपने घरों के अंदर कैद रहते हुए यह समस्या उनके लिए और ज्यादा भयावह हो चुकी है.
क्योंकि नियमित छह से आठ घंटा ऐसी तीव्र ध्वनि का सामना उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर डालता है तथा हमारी बढ़ती हुई तकनीक और उपकरणों के दौर में भी लोग परंपरागत मशीनों का अवैध रूप से संचालन कर रहे हैं. इससे होने वाले ध्वनि का स्तर सरकारी मापदंडों से कई गुना ज्यादा है.
उक्त लोगों ने कहा कि वे सरकार और जिला प्रशासन से मांग करते हैं कि ऐसे औद्योगिक मशीनों का संचालन अवैद्य होने के साथ-साथ अमानवीय भी है और इसे तत्काल बंद कराया जाना चाहिए. इससे आस पड़ोस के लोगों को कई तरह की संभावित बीमारियों का खतरा बना रहता है. इसमें उच्च रक्तचाप, हाइपरटेंशन , हृदय संबंधित रोग तथा श्रवण दोष के कारण होने वाली मानसिक बीमारियों इसके दुष्परिणाम है.