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कोरोना से जंग: बिहार लौटे 13 लाख से ज्यादा मजदूरों को मिला काम

प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान अपने घर बिहार लौटे मजदूरों को जिन 135845 मजदूरों को काम मिला, उनमें एक लाख से अधिक मजदूर केवल आठ जिलों के हैं.

पटना : प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान अपने घर बिहार लौटे मजदूरों को जिन 135845 मजदूरों को काम मिला, उनमें एक लाख से अधिक मजदूर केवल आठ जिलों के हैं. इस तरह काम के अवसर पूरे प्रदेश में बेहद असमान हैं. हालांकि, सरकारी विभाग इस असमानता की खाई को पाटने के लिए खासे जतन कर रहे हैं.

उद्योग विभाग के पोर्टल पर मौजूदा जानकारी के मुताबिक प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं, जहां दूसरे राज्यों में स्किल मजदूरी करने वाले बिहारी मजदूरों को अपने जिले में मजदूरी नहीं मिल सकी है़ वहीं, करीब आधा दर्जन जिले ऐसे हैं जहां हजारों की संख्या में मजदूर पंजीबद्ध होने के बाद भी ठीक से सौ मजदूरों को भी काम नहीं मिल सका है.

श्रम पोर्टल पर हजारों मजदूर पंजीबद्ध

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक ऐसे जिले जहां एक भी स्किल मजदूर को काम नहीं मिला, उन जिलों में अरवल, बांका,बेगूसराय, दरभंगा,पूर्वी चंपारण, गया,गोपालगंज, कटिहार,खगड़िया, मधेपुरा, मुंगेर, नवादा, सहरसा,सारण, शिवहर,सीतामढ़ी और सीवान हैं. जहां तक अकुशल मजदूरों का सवाल है, कई जिले ऐसे हैं, जहां सौ या उससे भी कम लोगों को रोजगार दिया गया है़ इन जिलों में सीवान में 53,शेखपुरा में 11 , नवादा में 66 और अरवल में 87 अकुशल मजदूरों को ही रोजगार मिल सका़ हालांकि, इन जिलों में हजारों की संख्या में श्रम पोर्टल पर मजदूर पंजीबद्ध हैं. इस परिदृश्य में यह साफ हो गया है कि लाखों की संख्या में आये मजदूरों का काम दे पाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा़

विशेष तथ्य

प्रदेश में विभिन्न जिलों में 13168 कुशल श्रमिकों को ही रोजगार मिल सका है़ प्रदेश में अधिकतर कुशल श्रमिक राजमिस्त्री,कारपेंटर, रिपेयरिंग,टेलरिंग,कुक,पेंटिंग और फूड प्रोसेसिंग में गये हैं.

प्रदेश में अब तक 122677 अकुशल मजदूरों को काम मिला है़ इनको मनरेगा, रोड निर्माण, भवन निर्माण इत्यादि में मिला है़

रोजगार देने वाले जिले

समस्तीपुर 26743

शिवहर 23740

मुजफ्फरपुर 10675

पश्चिमी चंपारण 10632

पूर्णिया 9183

सुपाैल 7678

अररिया 7322

कैमूर 4833

नोट– इस खबर में प्रयुक्त सभी आंकड़े सरकारी श्रम साधना एवं डीएमडी पोर्टल से हासिल किये गये हैं. यह आंकड़े 15 जुलाई तक के हैं.

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