Sawan 2020 : देवघर : 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र बाबाधाम में ही स्पर्श पूजा की व्यवस्था है. इन्हें मनोकामना लिंग के नाम भी से जाना जाता है. यही कारण है कि यहां सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है. द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण के सभी मंदिरों का अपना खास इतिहास है. इसमें भगवान शिव के 11 रुद्रावतार हनुमान मंदिर का अलग महत्व है. यह मुख्य मंदिर के दक्षिण- पश्चिम कोने पर अवस्थित है.
मां मनसा मंदिर और महाकाल भैरव मंदिर के बीच में महावीर मंदिर है. इस मंदिर की लंबाई लगभग 20 फीट और चौड़ाई लगभग 40 फीट है. इस मंदिर के शिखर पर पंचशूल और कलश नहीं है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. मंदिर प्रांगण से सबसे पहले 3 सीढ़ियों को पार कर भक्त हनुमान मंदिर में प्रवेश करते हैं.
इस मंदिर के प्रांगण में छोटा पीतल का दरवाजा लगा है. हनुमान मंदिर में परिसर प्रवेश करते ही दायीं ओर बजरंग बली की 3 फीट की मूर्ति स्थापित है. इसके अलावा बायीं ओर धन के देवता कुवेर महाराज और धनंदादेवी की दीवार से लगी मूर्ति स्थापित है.
हनुमान के भव्य दायें हाथ में गदा, बायें हाथ में संजीवनी पर्वत लिए हुए भव्य मूर्ति विराजमान है. यह मंदिर पूरी तरह से केसरिया रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर के दीवारों में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण आदि लिखी हुई है. इसके अलावा राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की बड़ी-बड़ी तस्वीर लगी है. इस मंदिर में बजरंग बली के साथ कई देवी – देवताएं विराजमान हैं.
इस मंदिर में चक्रवर्ती परिवार की ओर से पूजा की जाती है. साल में रामनवमी के दिन चक्रवर्ती परिवार के वंशजों द्वारा बजरंग बली की विशेष पूजा और महाशृंगार की जाती है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही चक्रवर्ती परिवार के वंशज अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं.
Posted By : samir ranjan.