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बिहार महादलित विकास मिशन घोटाला: नकद में छात्रवृत्ति देने वाले अफसरों पर होगी प्राथमिकी!

बिहार महादलित विकास मिशन से जुड़े करीब तीन दर्जन से अधिक पदाधिकारी अब भी निगरानी की जांच के दायरे में हैं. मिशन के तत्कालीन निदेशक एसएम राजू के कार्यकाल में विभिन्न जिलों में रहे जिला कल्याण पदाधिकारियों से पूछताछ के बाद एफआइआर हो सकती है.

पटना : बिहार महादलित विकास मिशन से जुड़े करीब तीन दर्जन से अधिक पदाधिकारी अब भी निगरानी की जांच के दायरे में हैं. मिशन के तत्कालीन निदेशक एसएम राजू के कार्यकाल में विभिन्न जिलों में रहे जिला कल्याण पदाधिकारियों से पूछताछ के बाद एफआइआर हो सकती है. इन अफसरों के कार्यकाल में ही छात्रवृत्ति का नकद भुगतान किया गया था. जांच पदाधिकारी ने अलग से अनुसंधान की सिफारिश करते हुए लिखा कि प्रशिक्षणार्थियों की छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा नकद में किया जाता रहा. इस पर प्रशिक्षणार्थियों के हस्ताक्षर सही हैं कि नहीं, इसकी छानबीन की जायेगी.

आइएएस एसएम राजू सहित 10 पर प्राथमिकी : महादलित छात्रों को अंग्रेजी सिखाने के नाम पर हुए घोटाले में बुधवार को महादलित िवकास िमशन के तत्कालीन िनदेशक एसएम राजू, तीन रिटायर्ड आइएएस अधिकारियों सहित कुल 10 लोगों पर एफआइआर हुई थी. अब इसमें अनुसंधान पदाधिकारी नियुक्त किया जाना है. यह जिम्मेदारी किसी डीएसपी या एसपी स्तर के पदाधिकारी को दी जा सकती है. सूत्रों के अनुसार एफआइआर से पहले विजिलेंस के एक इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी ने दो साल तक पूरे मामले की छानबीन की थी. उसी जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआइआर की गयी है. जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा है कि मिशन कार्यालय ने स्पोकन इंग्लिश सहित विभिन्न 20 ट्रेड में प्रशिक्षण देने के लिए विज्ञापन जारी किया था.

इसमें 203 प्रस्ताव आये. दलित बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए एजेंसी तो छह चयनित हुईं, लेकिन ब्रिटिश लिंग्वा को 13 जिलाें में काम दिया गया. इंडियाकन व आइआइआइएम लि. को 11- 11 और बाकी तीन कंपनियों को एक-एक जिलों में काम मिला. ब्रिटिश लिंग्वा को लाभ पहुंचाने के लिए सेवा शर्तों में बार- बार बदलाव कर सरकारी पैसे का बंदरबांट किया गया. कंपनी ने एक भी बैच का प्रशिक्षण पूरा नहीं किया. फिर भी 25 की जगह 85% राशि भेज दी गयी. वर्ष 2012- 13 के प्रशिक्षक, प्रशिक्षणार्थी और रिजल्ट शीट भी फर्जी पायी है. एजेंसियों द्वारा अपलोड किये गये आॅनलाइन डाटा को अधिकारी या एजेंसी द्वारा देखा जा सकता था. छात्रों की सूची के साथ-साथ उनकी उपस्थिति हार्ड कॉपी से मिलाने के लिए सुझाव लिखित रूप था. इसके बाद भी भुगतान करने वाले पदाधिकारी ने रिपोर्ट और सुझाव को नजरअंदाज किया.

10 साल तक की हो सकती है सजा : निगरानी ने बीरबल झा, निदेशक, ब्रिटिश लिंग्वा, एसएम राजू, तत्कालीन मिशन निदेशक और बिहार महादलित विकास मिशन के कार्यपालक पदाधिकारी राघवेंद्र झा , तत्कालीन मिशन निदेशक रामनारायण लाल , रामाशीष पासवान आदि के खिलाफ आइपीसी की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471, 477 ए, 120 बी, और 13(1)(ए) में कांड दर्ज किया है. इसमें 471 और 406 को छोड़ दिया जाये तो सभी में सात से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है़

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