नयी दिल्ली/काठमांडू : नेपाल ने भारतीय चैनलों के प्रसारण पर लगी रोक को हटा लिया है. बताया जा रहा है कि नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार के आदेश के बाद केबल ऑपरेटरों ने भारतीय चैनलों को फिर से प्रसारण करना शुरू कर दिया है, हालांकि खबर ये भी है कि कुछ चैनलों पर अब भी बैन जारी है.
इस बीच नेपाल ने भारत को एक ‘राजनयिक टिप्पणी’ भेजी है और अपने देश तथा नेताओं के खिलाफ ऐसे कार्यक्रमों के प्रसारण पर कदम उठाने का अनुरोध किया है जो उसके मुताबिक ‘फर्जी, आधारहीन और असंवेदनहीन होने के साथ ही अपमानजनक’ हैं.
नेपाल ने भारतीय मीडिया के एक वर्ग पर इस तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि नेपाल ने बृहस्पतिवार को दूरदर्शन के अलावा सभी भारतीय निजी चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी थी. उसने आरोप लगाया था कि ये चैनल देश की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली खबरें प्रसारित कर रहे हैं.
इस कदम के कुछ ही दिन बाद नेपाल ने भारत से यह अनुरोध किया है. इस मामले में भारत ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. नेपाली प्रधानमंत्री के एक सहायक के मुताबिक, नयी दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास के जरिए विदेश मंत्रालय को शुक्रवार को दी गई राजनयिक टिप्पणी में कहा गया है कि भारतीय मीडिया के एक वर्ग द्वारा प्रसारित की जा रही सामग्री ‘ नेपाल और नेपाली नेतृत्व के प्रति फर्जी, आधारहीन और असंवेदनहीन होने के साथ ही अपमानजनक भी है.
इसमें भारतीय अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि इस तरह की सामग्री के प्रसारण पर रोक के लिए कदम उठाये जाएं.
इधर नेपाल में चल रहे राजनीतिक गतिरोध के बीच सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने कहा कि पार्टी की एकता को कमजोर करने की किसी भी जगह से कोई भी कोशिश लोगों के हित में नहीं होगी और यह कोरोना वायरस महामारी तथा प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ लड़ाई को नुकसान पहुंचाएगी.
प्रचंड ने अपने गृह नगर चितवन में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि वह पार्टी की एकता को अक्षुण्ण रखने के लिये कटिबद्ध हैं. उन्होंने कहा, एक बड़ी पार्टी में विचारों और चर्चा में मतभेद होना तथा विवाद होना स्वाभाविक है, लेकिन मैं पार्टी को टूटने नहीं दूंगा. इन्हें दूर करने करने के लिये उपयुक्त कार्य प्रणाली है.
प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के इस्तीफे की प्रचंड सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा मांग किये जाने के बाद एनसीपी के टूट सकने की अटकलों के बीच उनकी यह टिप्पणी आयी है. ओली से यह कहते हुए इस्तीफे की मांग की गई है कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी ‘ना तो राजनीतिक रूप से सही थी, ना ही कूटनीतिक रूप से उचित थी. ‘
Posted By – Arbind kumar mishra