लखनऊ : पांच लाख के इनामी अपराधी विकास दुबे की जिंदगी से लेकर मौत तक के तमाम पहलू फिल्मी अंदाज में गुजरे. वर्ष 1999 में रिलीज हुई एक फिल्म को उसने सौ से भी ज्यादा बार देखा था और उसके अभिनेता के किरदार को अपनी जिंदगी में फिट बिठाये. विकास फिल्म के अभिनेता से काफी प्रभावित हो गया था और कई फिल्मी सीन उसने असल जिंदगी में भी दोहराये. वर्ष 1999 में जब वह अपराध की दुनिया में तेजी से कदम बढ़ा रहा था तभी सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई ‘अर्जुन पंडित’ फिल्म देखी. इस थ्रिलर फिल्म अभिनेता सनी देओल एक ताकतवर व्यक्ति के किरदार में दिखते हैं. वह धोखा खाने के बाद गैंगस्टर बनते हैं.
कानपुर से 39 किमी दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र में बिकरू गांव है। यह वही गांव है जहां 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने उस समय के बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्र समेत 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी. इस गांव में 10 दिन पहले तक लोग अपनी जिंदगी में मशगूल रहते थे, आज उनके चेहरे पर मायूसी और खौफ है. पहले गैंगस्टर विकास दुबे के आतंक का खौफ था, अब पुलिस की कार्रवाई का. विकास को छोड़कर इस गांव में रहने वाले पांच लोगों का एनकाउंटर किया गया है. अब विश्वास बहाली के लिए गांव में रैपिड एक्शन फोर्स लगायी गयी है.
शिलान्यास के पत्थर से विकास का नाम हटाया : शुक्रवार सुबह विकास का एनकाउंटर होने के बाद गांव में उसके आतंक का खौफ धीरे-धीरे खत्म होने लगा है. यहां के रहने वाले कुछ लोगों का कहना है कि हमारी 70-80 साल पुरानी बाप-दादा की जमीनें थीं. विकास ने जबरदस्ती हमसे छीनकर दूसरी पार्टी को दे दीं. उसके मारे जाने से कुछ डर कम हुआ, इसलिए पुलिस को बता पाये, अगर पहले कहते तो मारे जाते. एक युवक ने यहां सड़क निर्माण के लिए लगाये गये शिलान्यास के पत्थर से विकास का नाम हटा दिया. उसने कहा कि गांव से इसका नाम-ओ-निशान मिट जाना चाहिए.