मधेपुरा : सावन मास की नाग पंचमी से प्रारंभ होकर चौदह दिनों तक चलनेवाला नवविवाहिता का कठिन व्रत मधुश्रावणी ग्वालपाड़ा प्रखंड समेत पूरे मिथिलांचल में शुरू हो गया है. मधुश्रावणी पर्व में नवविवाहिताएं तेरह दिनों तक अपनी ससुराल से भेजी गयी पूजन सामग्री और वस्त्र-आभूषणों से सज-धज कर भगवान शंकर और पार्वती की आराधना की.
मधुश्रावणी व्रत का विधान सुबह से ही शुरू हो गया. पारंपरिक गीतों के बीच नाग देवता को दूध, लावा, मिठाई आदि अर्पित की गयी. मधुश्रावणी व्रत में नवविवाहिताएं एक शाम अरवा भोजन का ग्रहण कर दिन में विधि-विधान से भोलेशंकर और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. साथ ही देवी-देवताओं की कहानी सुनती है.
बीच-बीच में प्रसंग पर आधारित गीत-भजन महिलाओं द्वारा गाये जाने की प्रथा प्रचलित है. सुबह-शाम नवविवाहिताएं झुंड बना कर हंसी-ठिठोली करती हुई वास की चनगेरा में फूल लोढ़ती हैं तथा उसी फूल से नाग देवता एवं गौरी की पूजा की जाती है.
फूल लोढ़ने के दौरान नवविवाहिताएं मिथिला के परंपरागत लोकगीत गाते हुए बाग-बगीचों में फूल लोढ़ा. इस फूललोढ़ी में उनकी सहेलियां, बहनें और अन्य रिश्तेदार शामिल थीं.
मधुबनी जिले के ग्वालपाड़ा प्रखंड स्थित नोहर की नवविवाहिता प्राची कहती हैं कि अपने अचल सुहाग के लिए नवविवाहिता अग्नि परीक्षा देने के लिए तैयार रहती हैं.
Posted By : Kaushal Kishor