सहरसा: शहर के चिर परिचित एक मुख्य समस्या के रूप में बंगाली बाजार ढाला पर ओवरब्रिज की जरूरत को वर्षो से देखा जा रहा है. वर्षों तक इस पर राजनीति हुई. कई बार शिलान्यास हुए. लेकिन यह मामला जस के तस पड़ा हुआ है. कभी कभार कुछ फंड आने, ओवरब्रिज का नक्शा बनने, जमीन और मिट्टी की जांच के नाम पर सुगबुगाहट अवश्य सुनी गयी.
लेकिन धरातल पर कोई ठोस काम अबतक नहीं हुआ है. परस्पर राजनीतिक व दोषारोपण की होड़ भी लगी हुई है. क्योंकि विभिन्न स्थानों से विभिन्न राजनीतिक चेहरे के लोगों ने ओवरब्रिज के नाम पर सिर्फ राजनीति की और अपने चेहरे चमकाये और धरना प्रदर्शन भी हुआ. जितने भी बड़े नामचीन राजनेता हैं, उन्होंने अपना पल्ला इससे झाड़ लिया. हालांकि कमोबेश इस शहर से ताल्लुक रखने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने इस पर चिट्ठी लिखी और अखबारों में बयान भी दिये. लेकिन नतीजा अब तक धरातल पर सिफर ही रहा है.