22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जानें क्या है ‘हार्ट अटैक’ और ‘कार्डियक अरेस्ट’ में अंतर, किसमें है ज्यादा खतरा?

choreographer saroj khan death, cardiac arrest: बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान अब हमारे बीच नहीं रहीं. देर रात उनका मुंबई में निधन हो गया. सरोज खान के निधन की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई जा रही है. वह कुछ समय से बीमार थी और उनका इलाज मुंबई के एक हॉस्पिटल में चल रहा था. ऐसा कहा जा रहा है था कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था लेकिन हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर है.

choreographer saroj khan death, cardiac arrest: बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान अब हमारे बीच नहीं रहीं. देर रात उनका मुंबई में निधन हो गया. सरोज खान के निधन की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई जा रही है. वह कुछ समय से बीमार थी और उनका इलाज मुंबई के एक हॉस्पिटल में चल रहा था. ऐसा कहा जा रहा है था कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था लेकिन हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर है.

आपको बता दें तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी की मौत का कारण भी कार्डियक अरेस्ट ही था. इसके अलावा भी कई सेलेब्रिटीज इस जानलेवा बीमारी का शिकार बनकर दुनिया छोड़ चुके हैं. हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट ये वो शब्द हैं जो ह्रदय से जुड़े संकट को सूचित करते हैं. हालांकि अक्सर लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के बीच भ्रमित हो जाते हैं. तो आइए आज जानते हैं दोनों के बीच का अंतर.

Also Read: Saroj khan Death, Live Updates: नहीं रहीं मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान, कार्डियक अरेस्ट से मुंबई में निधन
क्या होता है कार्डिएक अरेस्ट?

हार्ट.ओआरजी के मुताबिक दरअसल, कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है और शरीर की तरफ़ से कोई चेतावनी भी नहीं मिलती. इसकी वजह आम तौर पर दिल में होने वाली इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है, जो धड़कन का तालमेल बिगाड़ देती है. इससे दिल की पम्प करने की क्षमता पर असर होता है और वो दिमाग, दिल या शरीर के दूसरे हिस्सों तक खून पहुंचाने में कामयाब नहीं रहता. इसमें चंद पलों के भीतर इंसान बेहोश हो जाता है और नब्ज भी जाती रहती है. अगर सही वक्त पर सही इलाज न मिले तो कार्डियक अरेस्ट के कुछ सेकेंड या मिनटों में मौत हो सकती है.

कार्डियक अरेस्ट में मौत तय? क्या कोई लक्षण दिखते हैं?

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के अनुसार दिल में इलेक्ट्रिकल सिग्नल की दिक्कतें शरीर में जब रक्त नहीं पहुंचाती तो वो कार्डियक अरेस्ट की शक्ल ले लेता है. जब इंसान का शरीर रक्त को पम्प करना बंद कर देता है तो दिमाग़ में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ऐसा होने पर इंसान बेहोश हो जाता है और सांस आना बंद होने लगता है. सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि कार्डियक अरेस्ट आने से पहले इसके कोई लक्षण नहीं दिखते. यही वजह है कि कार्डियक अरेस्ट की सूरत में मौत होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इसकी सबसे आम वजह असाधारण हार्ट रिदम बताई जाती है जिसे विज्ञान की भाषा में वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन कहा जाता है. दिल की इलेक्ट्रिकल गतिविधियां इतनी ज़्यादा बिगड़ जाती हैं कि वो धड़कना बंद कर देता है और एक तरह से कांपने लगता है. कार्डियक अरेस्ट की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन दिल से जुड़ी कुछ बीमारियां इसकी आशंका बढ़ा देती हैं. वो ये हैं:

  • कोरोनरी हार्ट की बीमारी

  • हार्ट अटैक

  • कार्डियोमायोपैथी

  • कॉनजेनिटल हार्ट की बीमारी

  • हार्ट वाल्व में परेशानी

  • हार्ट मसल में इनफ़्लेमेशन

  • लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम जैसे डिसऑर्डर

इसके अलावा कुछ दूसरे कारण हैं, जो कार्डिएक अरेस्ट को बुलावा दे सकते हैं, जैसे:

  • बिजली का झटका लगना

  • ज़रूरत से ज़्यादा ड्रग्स लेना

  • हैमरेज जिसमें ख़ून का काफ़ी नुकसान हो जाता है

  • पानी में डूबना

कार्डियक अरेस्ट में बचना मुमकिन?

क्या कार्डियक अरेस्ट से रिकवर किया जा सकता है? जी हां, कई बार छाती के जरिए इलेक्ट्रिक शॉक देने से इससे रिकवर किया जा सकता है. इसके लिए डिफिब्रिलेटर नामक टूल इस्तेमाल होता है. ये आम तौर पर सभी बड़े अस्पतालों में पाया जाता है. इसमें मुख्य मशीन और शॉक देने के बेस होते हैं, जिन्हें छाती से लगाकर अरेस्ट से बचाने की कोशिश होती है. लेकिन दिक्कत ये है कि अगर कार्डियक अरेस्ट आने की सूरत में आसपास डिफिब्रिलेटर न हो तो क्या किया जाए? जवाब है, सीपीआर(CPR). इसका मतलब है कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन. इसमें दोनों हाथों को सीधा रखते हुए मरीज की छाती पर जोर से दबाव दिया जाता है. इसमें मुंह के ज़रिए हवा भी पहुंचाई जाती है.

हार्ट अटैक से कैसे अलग?

अधिकतर लोग कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही मान लेते हैं. लेकिन ये सच नहीं है. दोनों में खासा फ़र्क है. हार्ट अटैक में तब आता है जब कोरोनरी आर्टिरी में थक्का जमने की वजह से दिल की मांसपेशियों तक खून जाने के रास्ते में खलल पैदा हो जाए. इसमें छाती में तेज दर्द होता है. हालांकि, कई बार लक्षण कमजोर होते हैं, लेकिन दिल को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी साबित होते हैं. इसमें दिल शरीर के बाकी हिस्सों में खून पहुंचाना जारी रखता है और मरीज होश में रह सकता है. लेकिन जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है, उसे कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है.

हार्ट अटैक में बचना आसान?

हार्ट अटैक के मामले में इलाज मिलने में जितनी देर होगी, दिल और शरीर को उतना अधिक नुकसान होता जाएगा. इसमें लक्षण तुरंत भी दिख सकते हैं और कुछ देर में भी. इसके अलावा हार्ट अटैक आने के कुछ घंटों या कुछ दिनों बाद तक इसका असर देखने को मिल सकता है. सडन कार्डियक अरेस्ट से अलग हार्ट अटैक में दिल की धड़कन बंद नहीं होती. इसलिए कार्डिएक अरेस्ट की तुलना हार्ट अटैक में मरीज को बचाए जाने की संभावना कहीं अधिक होती हैं. दिल से जुड़ी ये दोनों बीमारियां आपस में गहरी जुड़ी हैं. दिक्कत ये भी है कि हार्ट अटैक के दौरान और उसकी रिकवरी के दौरान भी कार्डिएक अरेस्ट आ सकता है.

मौत की कितनी बड़ी वजह?

एनसीबीआई के मुताबिक कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां दुनिया में करीब 1.7 करोड़ सालाना मौत के लिए जिम्मेदार है. ये कुल मौतों का 30 फीसदी है. विकासशील देशों की बात करें तो ये एचआईवी, मलेरिया और टीबी की संयुक्त मौतों से दोगुनी मौत के लिए ज़िम्मेदार है. एक अनुमान के मुताबिक दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में सडन कार्डिएक अरेस्ट से होने वाली मौतों की हिस्सेदारी 40-50 फीसदी है. दुनिया भर में कार्डिएक अरेस्ट से बचने की दर एक फीसदी से भी कम है और अमेरिका में ये करीब 5 फ़ीसदी है. दुनिया भर में कार्डिएक अरेस्ट से होने वाली मौत इस बात का संकेत है कि इसकी जानलेवा क्षमता से बचना आसान नहीं है.

Posted By: Utpal kant

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें