कोरोना वायरस के संक्रमण तथा लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक और कारोबारी गतिविधियों को बड़ा झटका लगा है. देश के बड़े हिस्से में अब लॉकडाउन नहीं है और केवल अधिक प्रभावित इलाकों में ही पाबंदियां हैं. इससे जन-जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है, लेकिन स्थिति सामान्य होने में अभी देर लगेगी क्योंकि संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है. लॉकडाउन और उसके बाद की सुस्ती का सबसे ज्यादा असर देश की गरीब जनता को भुगतना पड़ा है.
बीते तीन महीने में केंद्र और राज्य सरकारों ने नगदी और मुफ्त राशन मुहैया करा कर लोगों को राहत देने की पुरजोर कोशिश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में गरीब आबादी को मुफ्त में समुचित अनाज देने की योजना को नवंबर तक बढ़ाने की घोषणा कर बड़ी पहल की है. इससे 80 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे. यह हमारा सौभाग्य है और, जैसा कि प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया है, हमारे किसानों की मेहनत का नतीजा है कि देश में पर्याप्त अन्न भंडार उपलब्ध है, जिससे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के प्रावधानों, सामाजिक कल्याण के अन्य कार्यक्रमों तथा 80 करोड़ जरूरतमंद लोगों को मुफ्त पांच किलो अनाज देने की पहल को दस माह तक जारी रखा जा सकता है.
रबी फसलों की पैदावार बहुत अच्छी रही है तथा खरीफ की आगामी फसल से भी बड़ी उम्मीदें हैं. इनकी आमद से हमारे अनाज भंडार फिर से भर जायेंगे. अभी भारतीय खाद्य निगम के पास 8.20 करोड़ टन के आसपास धान व गेहूं का भंडार जमा है.इसके अलावा 1.60 करोड़ टन अनाज मिलों को दिया गया है. कोरोना संकट और अर्थव्यवस्था की मंदी का मुकाबला समूचे देश को मिल कर करना है तथा इस बात का सबसे अधिक ध्यान रखना है कि हर व्यक्ति की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाये.
ऐसी सहभागिता के लिए प्रधानमंत्री ने किसानों के साथ करदाताओं के प्रति भी आभार व्यक्त किया है, जिनसे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है और उससे अनाज की खरीद होती है ताकि किसान भी घाटे में न रहे और वंचितों को भी भूख का सामना न करना पड़े. 80 करोड़ लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो चावल या गेहूं के साथ एक किलो चना भी मुहैया कराया जायेगा.
इस पहल पर 90 हजार करोड़ से अधिक का खर्च होगा. आपदा राहत, वित्तीय मदद, ग्रामीण रोजगार, कल्याण भत्ता आदि से जुड़ीं नियमित योजनाओं के साथ पहले ही केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के व्यापक पैकेज की घोषणा कर दी है. इसके अलावा विभिन्न सरकारें, मंत्रालय, संस्थान आदि भी अपने स्तर पर अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिशों में लगे हुए हैं. वंचित आबादी को रोजगार और खाद्यान्न की उपलब्धता हमारी राष्ट्रीय कार्यशक्ति को मजबूत बनायेगी, जो आर्थिक विकास के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है. केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर जरूरतमंद तक लाभ पहुंचे.