जमुई: घात लगाये अपराधियों ने कोदवरिया पंचायत की मुखिया पति गुज्जर यादव की हत्या बम मारकर कर दिया. लोग बताते हैं कि अपराधियों ने उन्हें दलान पर जाने के क्रम रोकते हुए पहले प्रणाम मुखिया जी कह कर गाड़ी खराब होने की बात कहने लगा. लेकिन गुज्जर यादव उक्त लोगों को देखते ही भागने लगा तभी अपराधियों ने पीछे से लगातार ताबतोड़ तीन बम से हमला कर दिया. जिससे वह घायल होकर गिर गया. उसके बाद अपराधियों ने ताबड़तोड़ गाेली भी मारते हुए बाइक पर सवार पश्चिम दिशा की ओर भाग गया. सुबह में बम और गोली की आवाज सुनते ही आस-पास के लोग दौड़ पड़े तभी गुजर यादव को बीच सड़क पर लहुलुहान पाया. घटना से पूरे गांव में दहशत है.
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परिजनों का कहना है कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण हत्या की गई है. मृतक के परिजनों ने बताया कि गुज्जर यादव अपनी सुरक्षा को लेकर हथियार रखता था, जिसे चंद्रदीप पुलिस द्वारा रखने से मना कर दिया गया था और इस बात की भनक विरोधियों को लग गयी और गांव में हत्या कर आराम से भाग गया.
घटना के बाबत पूछे जाने पर एसडीपीओ रामपुकार सिंह, एसडीओ लखिन्द्र पासवान, सिकन्दरा, खैरा थाना की पुलिस पहुंचकर परिजनों को समझाकर लाश को पोस्टमार्टम हेतु जमुई भेजा. एसडीपीओ श्री सिंह ने कहा कि घर से दलान पर जाने के दौरान बम और गोली मारकर गुज्जर यादव की हत्या कर दी गई है, अपराधियों को शीघ्र पहचान कर जल्द ही गिरफ्तारी की जायेगा.
दोस्तों का दोस्त और दुश्मनों का दुश्मन के रूप में जाने जाना वाला राजेश कुमार उर्फ गुजर यादव के इस तरह की घर के समीप की गई नृशंश हत्या से हर कोई हतप्रभ है. लोग कल्पना भी नहीं कर पाया था कि गुज्जर का इस तरह का भयावह अंत होगा. लोग बताते हैं कि गुजर यादव को भले ही उसका प्रतिद्वंदी अपराध जगत का बादशाह कहता हो, लेकिन यह सत्य है कि वे हमेशा गरीबों की भलाई करता था. कोई गरीब शादी,ब्याह या बीमारी में उनसे मदद मांगने जाता तो वह खुले दिल से तैयार रहता था. ब्रह्मदेव यादव के चार पुत्रों में गुज्जर यादव सबसे बड़ा था. अपने लोकप्रियता के कारण ही पंचायत चुनाव 2016 में सबसे अधिक मतों से अपनी पत्नी पारो देवी को जीताकर कोदवरिया पंचायत का मुखिया बनाया.
मुखिया पति राजेश कुमार यादव उर्फ गुज्जर यादव उर्फ गुरु जी के नाम से मशहूर गुज्जर यादव प्रारंभ से ही दौलत कमाने के पीछे भागता रहा था. सूत्र बताते हैं कि गुज्जर यादव पूर्व में नक्सल संगठन में भी रहा था और एरिया कमांडर लोहा सिंह के नाम से जाना जाता था. नक्सल संगठन छोड़ने के बाद वह कभी जंगल से केंदू पत्ती, लकड़ी के कारोबार से जुड़ा रहा था. जिसके कारण अपराध के रास्ते में यह हमेशा गुजरता रहा.