पटना : पुलिस अपने मानवीय चेहरे के साथ- साथ डंडा भी खूब चला रही है. कोविड- 19 के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान पुलिस उत्पीड़न के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. बिहार मानवाधिकार आयोग में पहुंची हजारों शिकायतों में एक चौथाई मामले पुलिस से ही जुड़े हैं. वहीं ,आयोग वर्तमान में लंबित करीब आठ हजार मामलों के निबटाने में जुटा हुआ है तथा उसकी सुनवाई प्रतिदिन हो रही है .आयोग में केस के लंबित होने का मुख्य कारण सरकारी विभागों द्वारा समय से रिपोर्ट न भेजा जाना भी है.
बिहार मानवाधिकार आयोग को एक जनवरी से अब तक करीब 3,830 तक शिकायतें मिली हैं. इनमें अधिकतर शिकायतें पुलिसकर्मियों द्वारा उत्पीड़न, थाना पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज न करना, अनुसंधान में झूठा फंसा देना आदि से जुड़ी हैं. जरूरी काम से घर से बाहर जाने पर पुलिसकर्मियों द्वारा लॉकडाउन उल्लंघन में कार्रवाई के खिलाफ भी शिकायतें मिली हैं. आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष उज्ज्वल कुमार दुबे भी इसकी पुष्टि करते है़ं
कई मामलों को संबंधित जिलों के वरीय पुलिस पदाधिकारियों को नियमानुसार छह सप्ताह के अंदर कार्रवाई कर पक्षकार को सूचित करने का निर्देश दिया गया है. गंभीर मामलों में उनसे रिपोर्ट मांगी गयी है. उज्ज्वल कुमार दुबे बताते हैं कि मामलों की सुनवाई को तेजी से करने के लिए हर संभव काम किया जा रहा है. आयोग का मुख्य काम पब्लिक अॉथारिटी के द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन के मामलों की सुनवाई करना है. ऐसे में जब तक संबंधित विभाग अपना पक्ष नहीं दे देता है आयोग फैसला नहीं दे सकता है. आयोग में सुनवाई में उतना ही विलंब होता है जितना पब्लिक अॉथारिटी से रिपोर्ट प्राप्त होने में होती है. रिपोर्ट प्राप्त होते ही आयोग मामले का तत्काल निबटारा कर देता है.
बिहार मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में आठ हजार मामले लंबित हैं. इस साल जो 3,830 मामले आये हैं ,उनमें 1,717 मामलों में सुनवाई पूरी कर फैसला दिया जा चुका है. पिछले साल तक 60,583 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से 54,704 मामलों में फैसला दिया जा चुका है. हालांकि इनमें लंबित रहे 5,869 बहुत पुराने मामलों में भी तेजी से सुनवाई की जा रही है. यह वही मामले हैं जिनमें पब्लिक ऑथिरिटी से रिपोर्ट अब तक प्राप्त नहीं हो पायी है. लॉकडाउन के समाप्ति के बाद अब तक करीब 1,180 मामलों का आयोग द्वारा निबटारा कर दिया गया है.