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शराब की थोक बिक्री कर सात साल से घाटा सह रही सरकार

शराब की खुदरा बिक्री का फैसला करने के बाद से बीते सात वर्षों में उत्पाद विभाग को करोड़ाें रुपये का घाटा हुआ है. राज्य सरकार ने वर्ष 2013-14 से राज्य में विदेशी शराब के थोक व्यापार के लिए पूर्व की व्यवस्था को समाप्त करते हुए झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) का गठन किया.

रांची : शराब की खुदरा बिक्री का फैसला करने के बाद से बीते सात वर्षों में उत्पाद विभाग को करोड़ाें रुपये का घाटा हुआ है. राज्य सरकार ने वर्ष 2013-14 से राज्य में विदेशी शराब के थोक व्यापार के लिए पूर्व की व्यवस्था को समाप्त करते हुए झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) का गठन किया.

जेएसबीसीएल द्वारा 2017-18 व 2018-19 में शराब की खुदरा दुकानों का भी संचालन किया गया. इसमें राज्य सरकार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. उत्पाद विभाग ने 2013-14 से पहले के चार वर्षों 2009-10 से 2012-13 तक देसी शराब, विदेशी शराब और बीयर की खपत की वर्षिक वृद्धि दर एवं 2013-14 से 2016-17 तक (जब जेएसबीसीएल के जिम्मे शराब का थोक कारोबार था) का तुलनात्मक अध्ययन किया है.

2009-10 से 2012-13 तक देसी शराब की औसत वार्षिक वृद्धि दर 23.5 प्रतिशत, विदेशी शराब की 18.3 प्रतिशत और बीयर की प्रतिवर्ष औसत वृद्धि दर 20.1 फीसदी थी. वहीं, जेएसबीसीएल के पास थोक व्यापार का जिम्मा आने के बाद वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक वार्षिक वृद्धि दर नकारात्मक हो गयी. इस दौरान देसी शराब की प्रतिवर्ष औसत वृद्धि 5.5 प्रतिशत, विदेशी शराब की 2.6 प्रतिशत और बीयर की 5.2 फीसदी दर्ज की गयी. उत्पाद विभाग ने पिछले 11 वर्षों के तुलनात्मक अध्ययन में पाया है कि जेएसबीसीएल के कार्यकाल में औसत वार्षिक वृद्धि दर में देसी शराब की 1.0 प्रतिशत, विदेशी शराब की 2.0 प्रतिशत व बीयर की 6.1 प्रतिशत की गिरावट हुई है.

विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएसबीसीएल द्वारा शराब का थोक व्यापार शुरू करने से राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है. इस दौरान राज्य को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है. जेएसबीसीएल के कर्मचारी संविदा या आउटसोर्सिंग पर हैं. कर्मचारियों पर बिक्री बढ़ने या घटने का कोई असर नहीं पड़ता है. इसी वजह से शराब की बिक्री की औसत वृद्धि दर में गुणात्मक कमी आयी है. उत्पाद विभाग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जेएसबीसीएल के पास शराब का थोक व्यापार जाने के कारण बाजार आधारित सामान्य वृद्धि दर में कमी आयी है. इस दौरान शराब के अवैध व्यापार को भी प्रोत्साहन मिला है. हालांकि, पिछले वर्षों में एनआइसी के माध्यम से जेएसबीसीएल के स्टॉक की खरीद-बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित करने का फायदा भी हुआ है. प्रक्रिया में पारदर्शिता की वजह से शराब की खपत में इजाफा भी संभव हुआ है. लेकिन, वह पर्याप्त नहीं है.

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