गुमला : भारत सरकार ने देश में कोयला उत्पादन बढ़ा कर भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोयला के व्यावसायिक खनन (कमर्शल माइनिंग) की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है. कोयला के व्यावसायिक खनन के लिए पहले चरण में देश के पांच राज्यों ओड़िशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में कुल 41 कोयला खदानों को नीलामी के लिए प्रस्तावित किया गया है.
उक्त बातें सांसद सुदर्शन भगत ने शनिवार को गुमला परिसदन में प्रेसवार्ता में कही. सांसद ने कहा कि देश में कोयला उत्पादन बढ़ने से न केवल हमारे देश में विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि बिजली, स्टील, ऊर्वरक, एल्यूमीनियम जैसे क्षेत्र भी लाभान्वित होंगे और बड़ी संख्या में रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सुविधाएं व व्यापार के अवसर भी स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त होगा.
सांसद ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में देश में कुल 958 मिलियन टन कोयले की खपत हुई, जिसमें 707 मिलियन टन कोयला देश ने खुद उत्पादित किया और 251 मिलियन टन कोयले का आयात दूसरे देशों से किया गया. दूसरे देशों से कोयला आयात करने पर देश हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करता है. इस आयात का कुछ हिस्सा कोकिंग कोल का है, जिसे हम रोक नहीं सकते, क्योंकि हमारे देश में कोकिंग कोल के संसाधन सीमित है.
सांसद ने बताया कि कोयला के व्यावसायिक खनन में देश के साथ विदेशों की भी भागीदारी सुनिश्चित करने की योजना है. इसके लिए भारत सरकार ने कई कदम उठायें हैं. देश में कोयला उत्पादन बढ़ेगा, तो कोयला आयात पर देश की निर्भरता कम होगी और हम अधिक आत्मनिर्भर बनेंगे. कोयला क्षेत्र में अधिक निवेश से देश की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा.
साथ ही कोयला क्षेत्र में अधिक कंपनियों के काम करने से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे और घरेलू उद्योगों व स्वदेशी संसाधनों को भी बढ़ावा मिलेगा. सबसे बड़ी बात की नीलामी प्रक्रिया से आने वाला सारा राजस्व राज्य के हिस्से में आयेगा और राज्य लाभान्वित होंगे.
साथ ही राज्य से पलायन भी थमेगा, क्योंकि कोयला खनन में स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिलेगा. प्रेसवार्ता में भाजपा जिला अध्यक्ष सविंद्र कुमार सिंह, महामंत्री यशवंत कुमार सिंह, सांसद प्रतिनिधि भोला चौधरी, संजय कुमार साहू, बालकेश्वर सिंह आदि उपस्थित थे.