Thundering and Lightning, Precautions during thunderstorm, Bihar Weather Alert : लॉकडाउन (Lockdown) के बाद जहां मौसम (Temperature) साफ हुआ है. वहीं, प्रकृति का रौद्र रूप भी देखने को मिल रहा है. कोरोना (Corona) महामारी के बीच बिहार, यूपी और झारखंड (Bihar, Uttar Pradesh & Jharkhand) में गुरुवार को ठनके (Thundering) से हुई मौत की बारिश (Raining). इस दौरान करीब 150 लोगों की मौत हो गई वहीं, 50 से अधिक लोग घायल है. ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर कैसे गिरता है ठनका, कैसे बरतें सावधानी व इसे लेकर मौसम विभाग (The Meteorological Department) ने क्या दी है चेतावनी (Monsoon Alert).
दरअसल, आकाश में चल रही हवाएं इसकी मुख्य वजह होती है. हवाओं के कारण जब बादल में ड्रामा उत्पन्न होता है अर्थात एक-दूसरे के विरोधी दिशा में जाते हुए जब बादल आपस में टकराती हैं तो इससे बादलों के बीच एक घर्षण उत्पन्न होती है, जिससे विद्युत पैदा होता है. वही ठनका कहलाती है.
आपको बता दें कि बिहार और यूपी समेत झारखंड व अन्य हिस्सों में गर्म एवं ठंडी हवाएं आपस में टकरा रही हैं. यही कारण है इन क्षेत्रों में भारी बारिश के साथ-साथ ठनका गिरने से कई लोगों की मौत हो गई.
लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि ठनका धरती पर कैसे पहुंचती है और जन-जीवन को कैसे प्रभावित करती है. जैसा कि ज्ञात हो किसी भी बिजली को एक से दूसरे छोर में जाने के लिए कंडक्टर की आवश्यकता पड़ती है. यही कारण है कि आकाशीय बिजली को भी धरती पर आने के लिए बढि़या कंडक्टर की आवश्यकता होती है. इसीलिए बिजली कड़कने के समय घर से बाहर नहीं निकलने, किसी बिजली के खंभे सहित अन्य गुड कंडक्टर के आसपास नहीं रहने की सलाह दी जाती है.
कई अध्ययनों से पता चला है कि ठनके की क्षमता ३०० किलोवॉट मतलब 12.5 करोड़ वॉट से अधिक हो सकता है. जो सूर्य के ऊपरी सतह से भी ज्यादा हॉट होता है. यह मिली सेकेंड के लिए भी नहीं ठहरती है. यही कारण है कि इसे लंबे समय तक देखा नहीं जाता है और तुरंत ओझल हो जाती है. एक अध्ययन की मानें तो दोपहर के में इसके गिरने की संभावना अधिक होती है.
– गांव देहातों में माना जाता है कि जिस पर ठनका गिर गई है वापस उस चिज पर नहीं गिर सकती. ये गलत है, ठनके को गिरने के लिए बस अच्छे कंडक्टर की जरूरत होती है.
– टायर या रबर आदि इससे बचाव संभव
– गाय के गोबर के लेप से बचायी जा सकती है जान
– जब बादल गरज रहें हो तो कोशिश करें कि घर के अंदर ही रहें.
– इस दौरान आप बिजली पैदा करने वाले किसी भी चीज से पर्याप्त दूरी बना लें. बीजली कड़कने के दौरान भूल कर भी फोन, लैपटाप, टीवी आदि न चलायें.
– अगर मजबूरी हो तो बाहर जाएं मगर ऐसे छाते का प्रयोग में लाएं जिसके पकड़ने वाला हैंडल लकड़ी का बना हो.
– भूल कर भी पेड़ के नीचे या खुले मैदान में इस दौरान जाने की गलती न करें.
– अगर गए भी तो छोटे पेड़ के नीचे जाएं या किसी बिल्डिंग में जाकर खड़े हो जाएं.
– जल-जमाव वाले क्षेत्रों में इस दौरान खड़ा रहना भी भारी पड़ सकता है.
– यदि आप खुले में है तो किसी पक्के मकान में शरण ले लें
– गाड़ी चलाते समय बाहर न निकलें
– ग्रुप बना कर खड़े न रहें
– धातु से बने यंत्रों का प्रयोग न करें. किसानों को भी सचेत रहने की आवश्यकता.
– आसमानी बिजली से पीड़ित मरीजों को घरेलू उपचार न करें बल्कि उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं
– लोकल रेडियो चैनल, वेबसाइट आदि के जरिये मौसम की जानकारी लेते रहें
– यदि आप खेत में फंस गए है तो जहां है वहीं रहें और
पैर के नीचे सूखी चीज, जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें
दोनों पैरों को आपस में सटा लें, दोनों हाथों को घुटनों पर रख कर अपने सिर को जमीन के तरफ झुका लें. याद रहे सिर जमीन से न सटें
भूल कर भी जमीन पर न लेटें
ठनका (वज्रपात) से बचाव हेतु क्या करें एवं क्या ना करें
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) June 26, 2020
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– वज्रपात के दौरान भूल कर भी खिड़कियां, दरवाजे या बरामदे व छत पर न जाएं
– तलाब या जलाशय के पास न रहें
– इस दौरान बाइक या किसी भी तरह के मशीन को चलाने से बचें
– उंचे इमारत के शरण में न जाएं
– घर में पाली का नल, फ्रिज, टेलीफोन आदि को न छूएं
मौसम विभाग ने 28 जून तक भारी बारिश के साथ आकाशीय बिजली के गिरने के खतरे की संभावना जतायी है. उत्तरी बिहार के अधिकांश हिस्सों के लोगों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है.
Posted By : Sumit Kumar Verma
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.