देश में आंतरिक आपातकाल लागू होने के 45 हाल पूरे होने पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर महला बोला है. नड्डा ने कहा है कि आपातकाल कांग्रेस द्वारा थोपी गई एक शर्मनाक घटना थी. एक राजनीतिक पार्टी अपने स्वार्थ के लिए देश को जेल खाना बना दी थी.
बीजेपी अध्यक्ष ने ट्वीट कर लिखा कि 1975 में आज ही के दिन एक दल ने अपनी राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए देश भर विरोध आवाज को जेल में डाल दिया. नागरिकों के मूलभूत अधिकार छीन लिए गए. प्रेस की आज़ादी खत्म कर दी गई, लेकिन इसके बावजूद देश के तमाम लोग डटे रहे और कांग्रेस के इस नीति का विरोध किया.
21 महीने का आपातकाल- 25 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में आंतरिक आपातकाल लगा दिया. आपातकाल के लागू होते ही देश में विपक्ष के बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया, जबकि मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई. 21 महीनो तक देश में आम आदमा के जीने का अधिकार तक छीन लिया गया. हालांकि बाद में इंदिरा ने देश में यह काला कानून खत्म कर चुनाव कराने की घोषणा की थी.
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क्यों लगा था आपातकाल– आपातकाल के पीछे कई वजहें बताई जाती है, जिसमें सबसे अहम है 12 जून 1975 को आए इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक फैसला. दरअसल, 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट से राज नारायण को हराया था. लेकिन राजनारायण ने हार नहीं मानी और चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट चले गए.
12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया. इंदिरा गांधी पर मतदाताओं को घूस देने, सरकारी संसाधनों का गलत इस्तेमाल जैसे 14 आरोप लगे थे. कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी पर विपक्ष ने इस्तीफे का दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. बिहार में जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. बताया जाता है कि इसी दौरान इंदिरा के करीबी और पश्चिम बंगाल के सीएम सिद्धार्थ शंकर रे ने आपातकाल लगाने की सलाह दे डाली. आपातकाल के जरिए इंदिरा गांधी ने उसी विरोध को शांत करने की कोशिश की.
Posted By : Avinish Kumar Mishra