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रघुवंश प्रसाद सिंह का इस्तीफा, लालू की लालटेन की लौ पर कितना असर डालेगा

बिहार में इस वर्ष के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को बड़ा झटका लगा है. मंगलवार को आरजेडी के पांच विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. वहीं, आरजेडी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, रघुवंश प्रसाद ने अभी पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है.

पटना : बिहार में इस वर्ष के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को बड़ा झटका लगा है. मंगलवार को आरजेडी के पांच विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. वहीं, आरजेडी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, रघुवंश प्रसाद ने अभी पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है.

सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा गरम है कि 74 वर्षीय रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी में चल रही गतिविधियों से नाराज चल रहे हैं. उनकी नाराजगी के पीछे की फिलहाल सबसे बड़ी वजह लोजपा के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह को राजद में शामिल होने संबंधी खबर बतायी जा रही हैं. चर्चा है कि रामा सिंह 29 जून को आरजेडी में शामिल हो सकते है. बताया यह जा रहा है कि हाल ही में रामा सिंह ने सदन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. जिसके बाद से ही रामा सिंह के साथ ही सवर्ण समाज से कई अन्य नेताअों के भी राजद में शामिल होने की चर्चा तेज हो गयी है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, किसी जमाने में लालू यादव और रघुवंश प्रसाद सिंह के कट्टर विरोधी रहे रामा सिंह के राजद में शामिल किए जाने की खबरों से पार्टी के भीतर कई नेता नाराज बताए जा रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में वैशाली सीट से रघुवंश प्रसाद को रामा सिंह ने करीब एक लाख से ज्यादा वोटों से पराजित किया था. बता दें कि हाल ही में रघुवंश प्रसाद सिंह कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये थे. फिलहाल उनका पटना के एम्स में इलाज चल रहा हैं.

रघुवंश प्रसाद सिंह के ट्वीट के मायने

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने 28 मई को एक ट्वीट किया था और लिखा था, बिहार में सत्ता के संरक्षण में अपराध का खेल चल रहा है. राज्य में अपराधी बेखौफ हो चुके हैं. गोपालगंज में जेडीयू के नेता पुलिस प्रसाशन को खुली चुनौती दे रहे हैं. बिहार में बढ़ते अपराध के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू होगा और यह आंदोलन सरकार को हटाने तक चलेगा. रघुवंश प्रसाद के अपने इस ट्वीट के माध्यम से साफ तौर पर अपराध के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की बात कही थी. ऐसे में रामा सिंह जैसे बाहुबली नेता के राजद में शामिल होने की चर्चा से उनके नाराजगी को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है.

राजद कुनबे पर पड़ेगा असर!

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के अनुभवी एवं वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के राजद उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को लेकर राजद कुनबे में घमसान मचा हुआ है. उनका अपने पद से इस्तीफा देने के फैसला से पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ ऐसा होना समझ के बाहर बता रहे है. राजद के कई नेता दबे जवान से इसे सत्ता पक्ष के लोगों की साजिश बता रहे है. इन सबके बीच राजद कुनबे में इस बात का आंकलन किया जा रहा है कि आने वाले चुनाव में इसका पार्टी के कैंपेन के उपर कितना प्रभाव पड़ेगा.

रघुवंश प्रसाद सिंह के सियासी सफर पर एक नजर

अपनी कड़ी प्रतिक्रिया को लेकर अकसर सुर्खियों में रहने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह ने 2004 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जिम्मा संभाला था. इस दौरान उन्होंने मनरेगा जैसी योजना को लागू कराने में अहम भूमिका निभाई थी. 1996 से 2009 तक लगातार रघुवंश प्रसाद वैशाली सीट से प्रतिनिधित्व करते रहे. लोकसभा चुनाव 2014 में उन्हें लोक जनशक्ति पार्टी के रामकिशोर सिंह ने इसी सीट पर हरा दिया था. रघुवंश प्रसाद का जन्म 6 जून 1946 को वैशाली के शाहपुर गांव में हुआ था. उनकी शादी किरन सिंह के साथ हुई है और उनके तीन बच्चे हैं, जिनमें दो बेटे और एक बेटी है. रघुवंश प्रसाद ने गणित में एमएससी और पीएचडी किया है. युवावस्‍था में ही उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्‍व में हुए आंदोलनों में भाग लेना शुरू कर दिया था.

– 1973 में उन्‍हें संयुक्‍त सोशलिस्‍ट पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया

– 1977 से 1990 तक वह बिहार विधानसभा के सदस्‍य रहे

– 1977 से 1979 तक उन्होंने बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री का पद संभाला

– 1980 में उन्‍हें लोकदल का अध्‍यक्ष बनाया गया

– 1996 में पहली बार वह वैशाली से 11वीं लोकसभा का सदस्य चुने गए

– 1996 से 1997 के बीच उन्हें केंद्रीय पशुपालन और डेयरी उद्योग राज्‍यमंत्री बनाया गया

– लगातार 2009 तक वैशाली सीट से ही लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की

– 2004 से 2009 तक वह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के पद पर भी रहे.

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