रांची : फूलों, हाइब्रिड सब्जियों और मसाले की खेती से जोड़ कर अनुसूचित जाति की आमदनी बढ़ाने की योजना सरकारी फाइलों में ही बंद रह गयी. सूखाग्रस्त पलामू जिले में अनुसूचित जाति (एससी) के सदस्यों की आमदनी दोगुनी करने के लिए 163.07 एकड़ जमीन पर खेती होनी थी, लेकिन यह योजना लागू ही नहीं हुई.
लगभग यही स्थिति अन्य क्षेत्रीय उपयोजना(ओएसपी) में भी रही. ऑडिट के दौरान इन योजनाओं को लागू नहीं करने की जानकारी मिली है. जानकारी के अनुसार, पलामू में 98.84 एकड़ जमीन पर मिर्च, 27.18 एकड़ पर ओल, 24.70 एकड़ जमीन पर अदरक और 12.35 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती होनी थी.
इसके अलावा हाइब्रिड सब्जी की खेती के लिए पांच इकाई शेड नेट बनाने का लक्ष्य निर्धारित था. ऑडिट के दौरान सिर्फ लत्तेदार सब्जी की खेती के अलावा आंशिक तौर पर मुनगा और पपीता आदि के पौधे लगाने की जानकारी मिली.
कम लगे मुनगा और पपीते के पौधे
जांच में पाया गया कि विशेष अंगीभूत योजना के तहत मुनगा के चार हजार पौधे लगाने के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 312 पौधे लगाये गये. वहीं 80 हजार पपीता का पौधा लगाने के लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ 1425 पौधे ही लगाये गये. लत्तेदार सब्जी की खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 50 फीसदी जमीन पर खेती करने का उल्लेख उद्यान कार्यालय के दस्तावेज में मिला.
वहीं, अन्य क्षेत्रीय उपयोजना (ओएसपी) क्षेत्र में भी 494.21 एकड़ के बदले सिर्फ 171.04 एकड़ में मिर्च की खेती हुई. वहीं 74.13 एकड़ में अदरक तथा 24.70 एकड़ में ओल की खेती तो हुई ही नहीं. मुनगा के 15 हजार पौधों के बदले सिर्फ 208 पौधे तथा पपीता के 1.20 लाख पौधों के बदले सिर्फ 950 पौधे ही लगे. 15 यूनिट शेड नेट में हाइब्रीड सब्जी तथा लत्तेदार सब्जी की खेती का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका.